इस्लामाबाद जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) समर्थित सांसदों के ‘चोर-चोर’ के नारों और हंगामे के बीच पीएमएल-एन नेता शहबाज शरीफ रविवार को गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए दूसरी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुन लिए गए। अपने भाषण में शहबाज ने देश के सामने मौजूदा चुनौतियों का जिक्र किया और एक बार फिर कश्मीर का राग अलापना भी नहीं भूले। शहबाज ने वैश्विक समुदाय से कश्मीर की स्थिति पर ‘चुप्पी’ तोडऩे का आह्वान करते हुए कहा कि हमें नेशनल एसेंबली में ‘कश्मीरियों और फिलिस्तीनियों की आजादी’ के लिए प्रस्ताव पारित करना चाहिए। अपनी विदेश नीति की झलक देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ‘समानता के सिद्धांतों के आधार पर पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध’ बनाएगी।

अप्रेल 2022 से अगस्त 2023 तक गठबंधन सरकार के पीएम रह चुके पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के साझा उम्मीदवार शहबाज को 336 सदस्यीय सदन में 201 वोट मिले। शहबाज के प्रतिद्वंद्वी जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के उमर अयूब खान को 92 वोट हासिल हुए। अयूब ने शहबाज के चुनाव को जनादेश की चोरी करार दिया।

पीएम चुनते ही किए वादे

-पाकिस्तान के ‘भाईचारे वाले देशों’ को वीजा-मुक्त प्रवेश देंगे, इससे देश में व्यापार बढ़ेगा।
-सरकार कड़ी मेहनत करेगी और 2030 तक जी20 देशों का सदस्य बनने का लक्ष्य रखेगी।
-सरकार किसानों को सब्सिडी देगी और उनके लिए सौर ट्यूबवेल कार्यक्रम भी शुरू करेगी।
-निर्यात क्षेत्रों का बड़ा नेटवर्क स्थापित करने के लिए प्रांतीय सरकारों के साथ काम करेंगे।
-9 मई (इमरान समर्थकों के ‘दंगो’) के अपराधियों पर कार्रवाई करेंगे, बेगुनाहों को छोड़ेंगे।
-बिजली और टैक्स चोरी पर लगाएंगे लगाम।

क्या है चुनौतियां

-पाकिस्तान आर्थिक संकट में घिरा हुआ है, 30% के आसपास मुद्रास्फीति आसमान छू रही है और आर्थिक विकास लगभग 2त्न तक धीमा हो गया है। आइएमएफ का कर्ज भी मुद्दा है।
-राष्ट्रीय एयरलाइन सहित कुछ सुस्त सरकारी कंपनियों का निजीकरण करना और विदेशी निवेश हासिल करना भी आर्थिक संकट को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
-शरीफ परिवार के सऊदी अरब और कतर के शासकों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जो पाकिस्तान को कई परियोजनाओं में निवेश हासिल करने में मदद कर सकते हैं।
-भारत, ईरान और अफगानिस्तान के साथ बिगड़ते संबंधों से निपटने के कठिन कार्य का भी जिम्मा रहेगा वहीं अमरीका व चीन के साथ संबंधों को भी संभालना होगा।

देश में 10 मार्च को राष्ट्रपति का चुनाव होगा, जिसमें पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी की जीत तय मानी जा रही है। उन्हें पीएमएल-एन का समर्थन हासिल है। प्रतिद्वंद्वी पश्तून नेता महमूद खान अचकजई हैं।

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