कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिसर के बाहर इंतजार कर रहे सैकड़ों आकांक्षी खुशी में रो पड़े। उनमें से एक ने कहा कि हम इस दिन का इंतजार कर रहे थे। सडक़ों पर किए वर्षों के संघर्ष के बाद आखिरकार न्याय मिल गया है। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित खंडपीठ ने एसएलएसटी-2016 के जरिए नौवीं, दसवीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के शिक्षकों तथा ग्रुप सी और डी पदों पर एसएससी द्वारा नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन से संबंधित कई याचिकाओं तथा अपीलों पर विस्तारपूर्वक सुनवाई की। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील फिरदौस शमीम ने कहा कि ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (ओएमआर) शीट में हेराफेरी कर नियुक्तियां की गईं। जो अभ्यर्थी सूचीबद्ध नहीं थे, उन्हें नियुक्त कर दिया गया, पैनल समाप्त होने के बाद नियुक्तियां की गईं और रैंकिंग में भी हेरफेर की गई।
इनमें वे नियुक्तियां भी रद्द हो गई हैं। जिन्हें परीक्षा पास करने के कारण वैध तरीके से नौकरी मिली थी। जबकि कोरी उत्तरपुस्तिका जमा देकर भी कुछ को नौकरी मिली थी। रैंक में हेराफेरी कर शून्य पाने वालों को 55 नंबर देकर नौकरी दी गई। अदालत ने एसएससी से कहा है कि वो ओएमआर शीटों का फिर से मूल्यांकन करे और नया पैनल तैयार कर फिर से नियुक्ति करे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खंडपीठ ने लगभग साढ़े तीन महीने में अपना फैसला सुनाया है।
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) के अध्यक्ष सिद्धार्थ मजूमदार ने कहा कि वे 2016 में शिक्षक भर्ती परीक्षा के जरिए हुई सभी नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे। मजूमदार ने पत्रकारों से कहा कि हम उच्च न्यायालय का पूरा आदेश पढऩे के बाद उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे। यह पूछने पर कि आयोग फैसले के बाद कौन-कौन से कदम उठाएगा, इस पर मजूमदार ने कहा कि हम 300 पृष्ठों के आदेश को पढ़ेंगे, चर्चा करेंगे और उसके कानूनी पहलुओं पर गौर करेंगे।
पैनल पर भर्ती के लिए घूस लेने का आरोप है। आरोप है कि भर्ती के लिए अभ्यर्थियों से 5 से 15 लाख रुपए की घूस ली गई थी। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन ने नियुक्तियां निकाली। यह प्रक्रिया 2016 में शुरू हुई थी। इसके बाद से संबंधित मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में गड़बड़ी की कई शिकायतें दर्ज की गई थी। खास बात ये है कि अवैध तरीके से नियुक्त हुए लोगों के लिए तृणमूल कांग्रेस के सांसद और अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। जबकि अवैध नियुक्तियों के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने कोर्ट में सवाल-जवाब किए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पश्चिम बंगाल में स्कूल में नौकरी के लिए करोड़ों रुपए के नकद मामले से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति बसाक और न्यायमूर्ति रशीदी की खंडपीठ का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ को समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) के जरिए भर्ती प्रक्रिया के जरिये की गई सभी नियुक्तियों को निरस्त करने के इस अदालत के फैसले को उचित करार देते हुए सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तत्काल इस्तीफे की मांग की। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने एसएलएसटी-2016 में बैठे लेकिन नौकरी न पाने वाले कुछ अभ्यर्थियों की रिट याचिकाओं पर भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की सीबीआइ से जांच कराने का आदेश दिया था। गंगोपाध्याय ने जोर देकर कहा कि राज्य प्रशासन में, घोटाला करने वाले पूरे समूह को फांसी दे देनी चाहिए। पूर्व मेदिनीपुर जिले के तमलुक से भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे गंगोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा कि असली अपराधी राज्य प्रशासन के शीर्ष पदों पर बैठे हैं और अपने सुरक्षा बुलबुले के पीछे छिपे हुए हैं, यदि उनमें साहस है और थोड़ी भी शर्म बची है, तो उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए, अपना सुरक्षा कवच तोड़ देना चाहिए और जांच का सामना करना चाहिए।

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