महिला आरक्षण बिल को लेकर दावा किया जा रहा है कि इसे नरेंद्र मोदी कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने ट्वीट कर कहा है कि महिला आरक्षण बिल की मांग कांग्रेस लंबे वक्त से कर रही है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर का बदला हुआ नाम) ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में महिला आरक्षण बिल पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी, इसपर पर्दे के पीछे वाली राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट पर लिखा, ”कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग कर रही है। हम कथित तौर पर सामने आ रहे केंद्रीय मंत्रिमंडल के फ़ैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के पीछे वाली राजनीति के बजाय आम सहमति बनाई जा सकती थी।”

कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग कर रही है। हम कथित तौर पर सामने आ रहे केंद्रीय मंत्रिमंडल के फ़ैसले का स्वागत करते हैं और विधेयक के विवरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। विशेष सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में इस पर अच्छी तरह से चर्चा की जा सकती थी और पर्दे के… https://t.co/TylsHUogyb

— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 18, 2023

जयराम रमेश ने अपने अगले पोस्ट में बताया कि, महिला आरक्षण बिल के कदम के पीछे का इतिहास’ क्या है। जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा, ”कांग्रेस कार्य समिति ने मांग की है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाना चाहिए। ये इस मुद्दे से संबंधित कुछ तथ्य हैं…

1. सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका।

2. अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधान मंत्री PV नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।

3. आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह 40% के आसपास है।

4. महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका।

5. राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त (Lapse) नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित (Active) है।

कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।

 

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