उन्होंने आगे कहा कि इस निर्देश के तहत, यदि कोई 16 साल का नाबालिग वैध लाइसेंस के साथ सुसंगत 50 सीसी इंजन वाली बाइक चलाता है, तो उसे इसमें आगे बढ़ने की अनुमति होगी। इस कदम का उद्देश्य स्कूल स्थानों में हुए गंभीर दुर्घटनाओं को कम करना है और छात्र-छात्राओं की सुरक्षा में सुधार करना है। यह निर्देश आपराधिक प्रवृत्तियों और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों का हिस्सा है, ताकि छात्रों को सुरक्षित रूप से स्कूल जाने में मदद मिले।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए परिवहन आयुक्त ने 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के माध्यम से 2 पहिया-4 पहिया वाहन चलाने पर रोक के लिए, हाल ही में परिवहन कानून में संशोधन किया गया है, जिसकी जानकारी देते हुए, शिक्षा विभाग से इसमें सहयोग की अपेक्षा की थी। इसी के मद्देनजर माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों के नाम सर्कुलर जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोर यदि स्कूल परिसर के बाहर दो पहिया-चार पहिया वाहन चलाते पकड़े जाते है तो संशोधित मोटर वाहन कानून कानून के के तहत दण्ड का प्रावधान किया गया है।
ऐसे में यदि कोई वाहन स्वामी 18 वर्ष से कम आयु के बालक या बालिकाओं को वाहन चलाने के लिए देता है तो उसे तीन साल की जेल की सजा और 25 हजार के जुमनि से दंडित किया जाएगा।
माध्यमिक निदेशक द्वारा भेजे गए निर्देश में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बीते 15 दिसम्बर को परिवहन विभाग को अवगत कराया था कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों द्वारा बिना ड्राइविंग लाइसेंस के एक्टिवा मोटर साइकिल और अन्य वाहन चलाने से अनेक दुर्घटनाएं हो रही है।
केजीएमयू और लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों माध्यम से प्रदत्त आँकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले 40 प्रतिशत नाबालिग बच्चे होते हैं, जिनकी आयु 12 से 18 वर्ष के बीच होती है। ऐसे में मोटर वाहन कानून का कड़ाई से अनुपालन कराया जाए और सभी शैक्षिक संस्थानों में इसके लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाए।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य की सलाह पर परिवहन आयुक्त ने शिक्षा निदेशक को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया है कि मोटर वाहन संशोधन अधिनियम-2019 के माध्यम से किशोरों द्वारा किए जाने वाले मोटर वाहन अपराधों के संबंध में एक नई धारा-199 क जोड़ी गई है, जिसके तहत किसी किशोर द्वारा मोटर वाहन अपराध में किशोर के संरक्षक या मोटर वाहन स्वामी को ही दोषी मानते हुए दण्डित किया जाएगा।
संरक्षक या मोटर वाहन स्वामी को तीन वर्ष तक का कारावास तथा 25 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस अपराध में प्रयुक्त वाहन का पंजीयन एक वर्ष के लिए निरस्त कर दिया जाएगा। साथ ही ऐसे किशोर का ड्राइविंग 25 वर्ष के बाद ही बन सकेगा। इसके लिए स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब एवं प्रत्येक कक्षा में रोड सेफ्टी कैप्टन बनाने समेत कई अन्य तरह से लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाने की सलाह दी गई है।
माध्यमिक स्कूलों में पढ़ रहे 18 वर्ष से कम आयु के छात्र-छात्राएं को स्कूलों में स्कूटी, मोटर साइकिल या कार लाने पर तत्काल रोक लगा दी गयी है। ऐसे में 50 सीसी से कम क्षमता वाले मोटर साइकिल को इस प्रतिबंध से मुक्त रखा गया है, लेकिन किशोर इलेक्ट्रिक स्कूटी भी नहीं चला सकेंगे। इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन अखिलेश द्विवेदी ने बताया कि 18 वर्ष कम आयु के किशोर इलेक्ट्रिक स्कूटी भी नहीं चला सकेंगे। अभी तक विभिन्न कंपनियों ने इलेक्ट्रिक स्कूटी के जितने भी माडल उतारे है, व वह सभी 50 सीसी से अधिक क्षमता के हैं।
उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के किशोर दो या चार पहिया वाहन न चलाएं, इसके लिए उनका लाइसेंस नहीं जारी किया जा रहा है। ऐसे में जो अभिभावक 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को वाहन दे रहे हैं, वह गलत कर रहे हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस पर पूरी तरह से अंकुश लाने के लिए पहले स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे, इसके बाद अभियान चलाकर कार्रवाई होगी।