नई दिल्ली। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज रेपो रेट में बदलाव न कर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी। दरअसल, शक्तिकांत दास ने आज कहा कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र मजबूत तथा जुझारू बना हुआ है। मौद्रिक नीति समिति ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखने का फैसला लिया है।  आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिन के विचार-विमर्श के बाद एमपीसी के फैसले की घोषणा करते हुए गुरुवार को कहा कि समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर रखने का फैसला किया है. दास ने कहा कि एमपीसी की बैठक छह, सात और आठ जून को हुई थी।

बता दें कि इससे पहले  RBI की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक मंगलवार से मुंबई में हुई।  बैठक के बाद आज मीडिया से बात करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र काफी सुदृढ़ है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. महंगाई दर कम हुई है।

उन्होंने बताया कि रिटेल महंगाई दर (CPI) अप्रैल 2023 के महीने में पहले ही तेजी से गिरकर 4.7% पर आ चुकी है। मौद्रिक नीति समिति की द्विमासिक बैठक ऐसे समय हुई जब विशेषज्ञों का अनुमान है कि खुदरा मुद्रास्फीति के मोर्चे पर राहत मिलने के बाद रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखेगा। इससे पहले महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय बैंक ने मई, 2022 से रेपो दर ढाई प्रतिशत बढ़ाई थी।
 
रेपो रेट का मतलब कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर यानि बैंक इस चार्ज से अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है की बैंक लोगों को कम ब्याज दर पर लोन देगा और अगर यह रेट बढ़ती है तो बैंक में  लोन अपने आप महंगा हो जाता है और इसका इसर लोगों की EMI पर पड़ता है।

 

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