कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर मंगलवार को उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि 2014 के बाद से उन्हें बदनाम करने, विकृत करने, नकारने, नीचा दिखाने, छोटा करने और मिटाने के सुनियोजित प्रयास लगातार किए जा रहे हैं लेकिन उन्हें और उनकी विरासत को जितना मिटाने की कोशिश हुई, वह उतनी ही दृढ़ता से सामने आए। कांग्रेस ने कहा कि नेहरू अधिकार-संपन्न होते हुए भी अधिनायकवादी नहीं हुए तथा उन्हें खुद को साबित करने के लिए खोखले दावों एवं वादों की जरूरत नहीं थी जबकि ‘‘देश 26 मई 2014 से’’ यह सब ‘‘देख रहा’’ है।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने नेहरू की पुण्यतिथि पर शनिवार को उन्हें श्रद्धांजलि दी और आधुनिक भारत के निर्माण में उनके योगदान को याद किया।
सोनिया गांधी ने शांति वन जाकर नेहरू की समाधि पर पुष्प अर्पित किए।
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन। सशक्त और समावेशी भारत का सपना लिए नेहरू जी ने अपने दूरदर्शी नेतृत्व से स्वतंत्र भारत की मजबूत नींव रखी। सामाजिक न्याय, आधुनिकता, शिक्षा, संविधान और लोकतंत्र की स्थापना में उनका योगदान अमूल्य है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हिंद के जवाहर की विरासत और उनके आदर्श सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।’’
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘भारत को शून्य से शिखर तक पहुंचाने वाले, आधुनिक भारत के निर्माता, लोकतंत्र के निर्भीक प्रहरी, भारत को वैज्ञानिक, आर्थिक, औद्योगिक एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकासशील बनाने वाले, देश को निरंतर ‘विविधता में एकता’ का संदेश देने वाले, हमारे प्रेरणास्रोत पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि।’’
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू के योगदान के बिना 21वीं सदी के भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘आज पंडित जवाहरलाल नेहरू की 61वीं पुण्यतिथि है- एक ऐसा विराट व्यक्तित्व, जो तमाम राजनीतिक दुष्प्रचार के बावजूद आज भी भारत की आम जनचेतना से ओझल नहीं हुए।’’
उन्होंने कहा कि नेहरू को 2014 के बाद से ‘‘बदनाम करने, नकारने, नीचा दिखाने, छोटा करने और मिटा देने’’ के लिए सुनियोजित प्रयास लगातार किए गए हैं लेकिन ‘‘उन्हें और उनकी विरासत को जितना मिटाने की कोशिश हुई, वे उतनी ही दृढ़ता से सामने आते गए।’’
उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में पंडित नेहरू का योगदान सबसे मूलभूत और दूरगामी रहा है।
रमेश ने कहा, ‘‘नेहरू आज भी उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं जो उस भारत में विश्वास रखते हैं जिसकी नींव उसकी समावेशी विरासत में है, एक ऐसा भारत जो उदार, खुला, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र हो, जिसमें संविधान द्वारा निर्धारित सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के लक्ष्य हों, जो आधुनिक विज्ञान और तकनीक पर आधारित हो, जिसमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण हो, और जो अपनी समावेशी दृष्टि के बल पर वैश्विक पटल पर विशिष्ट पहचान रखता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘नेहरू अधिकार-संपन्न थे, पर कभी अधिनायकवादी नहीं हुए। वह न केवल एक असाधारण जननेता थे, जिन्होंने इतिहास को पढ़ा, लिखा और निर्णायक रूप से दिशा दी, बल्कि उससे भी अधिक वह एक भले, गरिमा से भरे, सहृदय और विवेकी व्यक्ति थे जिन्हें न तो किसी प्रकार की असुरक्षा थी और न ही अपने आपको सिद्ध करने के लिए खोखले दावों, दिखावे या घमंड की आवश्यकता थी, जैसा कि हम 26 मई 2014 से लगातार देख रहे हैं।”
रमेश ने कहा कि नेहरू के लिए भारत एक ही समय में- एक भी था और अनेक भी और उनका पूरा जीवन इस एकता को मजबूत करने सांस्कृतिक बहुलता को आत्मसात करने में समर्पित रहा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज जिस भारत की अवधारणा पर बार-बार हमला किया जा रहा है, उसे फिर से मजबूत करने के लिए हमें नेहरू के विचारों को फिर से अपनाना होगा।
गौरतलब है कि नेहरू 1947 में देश के आजाद होने के समय से लेकर 27 मई, 1964 को उनका निधन होने तक प्रधानमंत्री रहे।
भारत के पहले और सबसे लंबे वक्त तक पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री, नेहरू का 1964 में निधन हो गया था।