केरल के मलप्पुरम में निपाह वायरस से संक्रमित 14 वर्षीय एक किशोर की रविवार को मौत हो गई। उसका यहां इलाज किया जा रहा था। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यह जानकारी दी।

जॉर्ज ने बताया कि मृतक के छह दोस्तों और 68 वर्षीय एक व्यक्ति में निपाह संक्रमण की जांच की गई, हालांकि उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। मंत्री ने बताया, मृतक के छह दोस्त सीधे उसके संपर्क में थे, लेकिन 68 वर्षीय व्यक्ति नहीं था।

बुजुर्ग व्यक्ति में संक्रमण की जांच इसलिए की गई क्योंकि उसे बुखार था। उन्होंने बताया कि किशोर के सीधे संपर्क में 330 लोग आए थे, जिनमें से 68 स्वास्थ्य कर्मी हैं। जॉर्ज ने कहा, लड़के के सीधे संपर्क में आए लोगों में से 101 उच्च जोखिम वाली श्रेणी में हैं, जिनमें से सात को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मृतक किशोर के परिवार के किसी भी सदस्य में निपाह संक्रमण का कोई लक्षण नजर नहीं आया। स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को महामारी के केंद्र पांडिक्कड़ सहित दो पंचायत में 307 घरों सर्वेक्षण किया और इसमें बुखार के 18 मामले सामने आए, जबकि अनक्कयम पंचायत में 310 घरों में किए गए सर्वेक्षण के दौरान बुखार के 10 मामले सामने आए।

मंत्री ने कहा कि इनमें से कोई भी व्यक्ति लड़के के सीधे संपर्क में नहीं था। स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि जिले में सोमवार को 11वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए सीट आवंटन में प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को मलप्पुरम में निपाह से जान गंवाने वाले 14 वर्षीय लड़के की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। विजयन ने कहा कि किशोर को बचाने के लिए सभी प्रयास किए गए।

जॉर्ज ने बताया कि यह लड़का पांडिक्कड़ से था और रविवार सुबह 10.50 बजे उसे दिल का दौरा पड़ा, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। जॉर्ज ने कहा, ‘‘ वह बेहोश था और उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था।

दिल का दौरा पड़ने के बाद उसे बचाने का बहुत प्रयास किया गया, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे और पूर्वाह्न 11.30 बजे उसकी मौत हो गई।’’ मंत्री ने कहा कि उसका अंतिम संस्कार अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के अनुरूप किया जाएगा।

जॉर्ज ने कहा, ‘‘जिलाधिकारी लड़के के माता-पिता और परिवार के साथ चर्चा करेंगे और उसके बाद ही अंतिम संस्कार के बारे में कोई फैसला किया जाएगा।’’ मंत्री ने बताया कि किशोर 11 मई को स्कूल गया था, लेकिन अभी तक लक्षण वाले मरीजों के ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं।

 

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