उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के अलावा प्रदेश में पंच प्रयाग और पंच केदार भी हैं। इन पंच केदारों की भी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। इतना ही नहीं, इन पंच केदारों के भी शीतकाल में पूरे विधि-विधान के साथ कपाट बंद किए जाते हैं और फिर शुभ मुहूर्त निकालकर पंच केदारों के कपाट ग्रीष्मकाल में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं।
द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू होगी। कपाट 20 मई को शुभ मुहुर्त सुबह 11.15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खुल जाएंगे।
श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मदमहेश्वर मंदिर के कपाट खुलने की तैयारियों के लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह के निर्देश पर कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने भगवान मदमहेश्वर की डोली यात्रा के सफल संचालन के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान को देवरा प्रभारी तथा अवर सहायक संजय तिवारी को डोली प्रभारी के आदेश निर्गत किए हैं।
कपाट खुलने की प्रक्रिया के अंतर्गत भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गुरुवार को शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मंदिर, उखीमठ मंदिर सभामंडप में श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए रखी जाएगी।
इस दौरान मदमहेश्वर धाम के पुजारी टी. गंगाधर लिंग, पुजारी बागेश लिंग, ओंकारेश्वर मंदिर प्रभारी रमेश नेगी सहित पंचगौंडारी हक-हकूकधारी तीर्थ पुरोहित तथा श्रद्धालुजन मौजूद रहेंगे।
इसके बाद 17 मई को पूजा-अर्चना एवं नए अनाज का भोग लगाकर सर्वकल्याण की कामना की जाएगी। बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 18 मई की सुबह भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली तथा देव निशान शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर से राकेश्वरी मंदिर, रांसी में रात्रि विश्राम को पहुंचेंगे।
19 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली राकेश्वरी मंदिर, रांसी से प्रवास के लिए दूसरे पड़ाव गोंडार गांव पहुंचेगी।
इसके बाद 20 मई की सुबह मदमहेश्वर की चल विग्रह डोली गोंडार से श्री मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी। सुबह 11: 15 बजे शुभ लग्न में मदमहेश्वर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुलेंगे।