एडीजी ने बताया कि अब तक की समीक्षा से पाया गया कि पुलिस धारा 107 की रिपोर्ट तो कई मामलों में भेजती है पर परंतु धारा 117 की कार्रवाई पूरी न होने से पाबंद करने के लिए दिए गए आदेशों की संख्या लगभग शून्य है। बताया कि बस्ती परिक्षेत्र द्वारा एक प्रयोग के तहत अभियान चलाकर समीक्षा की गई तो यह पाया गया कि जिन मामलों में 117 यानी पाबंदी का आदेश जारी हो गया है, उन मामलों में हिंसा की कोई घटना नहीं हुई।
देवरिया कांड के बाद जमीन से जुड़े विवाद को रोकने के लिए हर स्तर पर सख्ती शुरू हो गई है। गोरखपुर जोन में अब बीट सिपाही ऐसे विवादों की सूची बनाएंगे और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ न सिर्फ 107 (शांतिभंग की आशंका) की रिपोर्ट न सिर्फ मजिस्ट्रेट को देंगे बल्कि कार्रवाई पूरी कराकर पाबंदी का आदेश भी जारी कराएंगे।कम से कम पांच लाख रुपये से पाबंद किया जाएगा। अगर पाबंदी की शर्त टूटती हैं तो पैसे की वसूली होगी।पाबंदी की अवधि छह महीने तक होती है, ऐसे में अफसरों को इस दौरान विवाद को निस्तारित करना होगा।
1 -बीट उप निरीक्षक/बीट पुलिस अधिकारी पिछले पांच साल में आईजीआरएस के माध्यम से दिए गए समस्त प्रार्थना पत्रों का विश्लेषण करेंगे, जिसमें अभी भी विवाद हो।
2-आईजीआरएस के अतिरिक्त प्रधान, पूर्व प्रधान, अन्य संभ्रांत लोगों, लेखपाल, ग्राम प्रहरी आदि से मामलों की जानकारी लेंगे। इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
4 -अक्तूबर तक सभी मामलों की समीक्षा रिपोर्ट भेजनी होगी। इसके बाद बीट पुलिस अधिकारी, बीट उप निरीक्षक को प्रमाण पत्र देंगे कि उनके इलाके में समस्त प्रकरणों को चिन्हित कर 107 की रिपोर्ट भेजी गई है।