शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ सैन्य वृद्धि के मुद्दे पर सरकार के सांसदों को विदेश भेजने के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने इस कदम की तुलना दूल्हे की बारात से करते हुए कहा कि यह अनावश्यक है। सरकार ने हाल ही में विभिन्न दलों के सांसदों के सात प्रतिनिधिमंडलों को कई देशों में भेजने का फैसला किया है, ताकि भारत की स्थिति को समझाया जा सके और पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने का आरोप लगाते हुए उस पर दबाव बनाया जा सके।
राउत ने कहा, ‘इस बारात को भेजने की कोई आवश्यकता नहीं थी। प्रधानमंत्री कमजोर हैं। इसे जल्दबाजी में करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। उपमुख्यमंत्री का बेटा विदेश में क्या प्रतिनिधित्व करेगा?’ उन्होंने सवाल पूछा, ‘भाजपा ने इसका राजनीतिकरण कर दिया है, उन्हें हर चीज में राजनीति करने की आदत है। भारत ब्लॉक को इस बारात का बहिष्कार करना चाहिए।’
#WATCH | Mumbai | On an all-party delegation visiting key partner countries to promote India’s continued fight against cross-border terrorism and #OperationSindoor, Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut says, “BJP is doing politics on this issue. This is not right…The opposition… pic.twitter.com/zFPLHYwjgG— ANI (@ANI) May 18, 2025
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के रुख को दुनिया के सामने रखने के लिए सरकार ने सात प्रतिनिधिमंडल बनाए हैं। इनमें 51 राजनीतिक नेता, सांसद और पूर्व मंत्री शामिल हैं, जिनमें कांग्रेस के शशि थरूर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले और डीएमके की कनिमोझी जैसे प्रमुख नाम हैं।
इन प्रतिनिधिमंडलों में सत्तारूढ़ एनडीए के 31 और गैर-एनडीए दलों के 20 सदस्य हैं। हर प्रतिनिधिमंडल में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि शामिल है। ये प्रतिनिधिमंडल यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली और डेनमार्क जैसे देशों का दौरा करेंगे और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की स्थिति को प्रस्तुत करेंगे।