उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में शनिवार रात को एक 17 वर्ष पुरानी रंजिश के कारण दुकानदार राजकुमार की सरेआम हत्या कर दी गई। हमलावरों ने पहले पूरे गांव में दहशत फैलाते हुए राजकुमार को राइफल की बट से पीटा और फिर उसे गली में घसीटते हुए उसके घर के दरवाजे तक ले गए। वहां उसके सिर पर कई बार प्रहार किया गया और इसके बाद हमलावरों ने हवा में कई राउंड फायरिंग की।

दुकानदार की सरेआम बेहरमी से हत्या
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार सुबह इस मामले में आरोपितों शिवराज, उसके भाई जगपाल, भतीजे पवन, हंसू, ब्रजेश और छविराम के खिलाफ हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई। सभी आरोपित अभी फरार हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस हत्या की नृशंसता को स्पष्ट किया, जिसमें राजकुमार के दोनों पैरों और सीने की हड्डियां टूटी हुई पाई गईं और सिर में गहरा घाव था।

जानिए, क्या है पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि यह मामला 2008 से शुरू हुआ जब शिवराज की बंदूक चोरी होने पर राजकुमार पर आरोप लगाया गया था, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनके बड़े भाई धनपाल ने बताया कि राजकुमार निर्दोष थे लेकिन उन्होंने कार्रवाई का विरोध नहीं किया क्योंकि दूसरे पक्ष का दबदबा था। जेल से जमानत पर छूटने के बाद, राजकुमार डर के कारण सीतापुर स्थित ससुराल में रहने लगे और वहीं उन्होंने सौंदर्य प्रशासन की एक दुकान खोली। वहीं कुछ महीने पहले उनके भाई नन्हे और कल्याण की मौत के कारण राजकुमार गमी की होली में शामिल होने के लिए गांव लौटे थे। शनिवार रात करीब 11:30 बजे, वह अपने घर के पास बैठे थे, तभी शिवराज और उसके साथी उन पर हमला कर दिए। जब राजकुमार की चीख-पुकार सुनकर उनके भाई धनपाल और अन्य लोग मदद के लिए पहुंचे, तो हमलावरों ने उन्हें भी राइफल की बट से पीटकर भगा दिया।

मृतक को गली में पीटते हुए घसीटा, गेट पर की कई राउंड फायरिंग
धनपाल का आरोप है कि इसके बाद राजकुमार को घसीटते हुए दरवाजे तक ले जाकर उनके सिर पर कई बार राइफल की बट मारी गई और फिर सभी फरार हो गए। घटना के समय कई बार डायल 112 पर पुलिस को बुलाने की कोशिश की गई, लेकिन नंबर नहीं लगा। इसके बाद राजकुमार को एंबुलेंस से सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके लहूलुहान पैरों में छेद देखकर आशंका जताई गई कि उन पर गोलियां चली हैं, लेकिन एक्सरे में इसकी पुष्टि नहीं हुई। यह घटना पूरे गांव में दहशत फैला रही है और स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर पुलिस समय पर क्यों नहीं पहुंची।

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