हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है दिवाली का त्योहार। साल में एक बार आने वाला दिवाली का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
दिवाली के पर्व पर प्रदोष काल के समय माता लक्ष्मी तथा गणेश जी की आराधना की जाती है। इस पूजा के समय दिवाली पर्व की कथा का भी विशेष महत्व होता है। आज हम आपके लिए दिवाली पूजा में होने वाली माता लक्ष्मी की कथा लेकर आए हैं। माता लक्ष्मी की यह कथा दिवाली पर्व की पूजा को संपूर्ण करेगी। साथ ही इस कथा के माध्यम से आपको माता लक्ष्मी तथा गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
दिवाली माता लक्ष्मी की कथा
एक गांव में एक साहूकार रहता था। इस साहूकार के एक बेटी थी। जो प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के वृक्ष पर वह जल चढ़ाया करती थी, उस पर देवी लक्ष्मी का वास था। एक दिन माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा, मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूं। साहूकार के बेटी ने कहा, मैं पहले इस बात की अनुमति अपने पिता से लेकर आऊंगी। साहूकार ने अपनी बेटी को मित्रता करने की अनुमति प्रदान कर दी।
अगले दिन साहूकार की बेटी ने माता लक्ष्मी की मित्रता को स्वीकार कर लिया। दोनों अच्छे मित्र की भांति एक दूसरे से बातचीत करने लगी। एक दिन माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी को अपने घर आमंत्रित किया। माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी का अपने घर भव्य रूप से स्वागत किया। उसकी खूब खातिरदारी की तथा विविध प्रकार के भोजन परोस कर बोली, “अब तुम मुझे अपने घर कब बुलाओगी।” साहूकार की बेटी ने माता लक्ष्मी को अपने घर आने का न्यौता दे दिया।
माता लक्ष्मी ने उसका न्यौता स्वीकार भी कर लिया। माता लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी का बेहद ही शानदार तरीके से आदर सत्कार किया। लेकिन साहूकार की बेटी अब इस चिंता में पड़ गई कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, माता लक्ष्मी का अच्छे से स्वागत कैसे करूंगी।
साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी से कहा, जाकर मिट्टी से चौंका लगाकर सफाई करो। चौमुखी बत्ती वाले दीये का निर्माण करो तथा माता लक्ष्मी जी का ध्यान करो। साहूकार की बेटी ने अपने पिता के अनुसार माता लक्ष्मी का ध्यान किया।
इसी बीच एक चील किसी रानी का नौ लक्खा हार उसके घर ले आई। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर लक्ष्मी जी के स्वागत तथा भोजन का इंतजाम किया। माता लक्ष्मी जी गणेश जी के साथ साहूकार के घर पधारी। साहूकार की बेटी ने बड़े आदर सम्मान से दोनों का स्वागत सत्कार किया। इससे माता लक्ष्मी तथा गणेश जी प्रसन्न हुए। वे दोनों साहूकार की बेटी को खूब आशीष प्रदान करते हैं। माता लक्ष्मी तथा गणेश जी के आशीष से साहूकार का घर धन – धान्य से भर जाता है।