नोएडा, गाजियाबाद समेत पूरे एनसीआर(NCR) में 1 अक्टूबर से डीजल जनरेटर पर रोक लगा दी जाएगी।

हर साल की तरह इस बार भी बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए ग्रेप (ग्रेडेड रिस्‍पॉन्‍स एक्‍शन प्‍लान) लागू किया जा रहा है। सिर्फ उन्हीं जनरेटरों को चलाने की अनुमति दी जाएगी जो बायो या पीएनजी फ्यूल से चलते हैं।

इसको लेकर नोएडा के उद्योग जगत में हजारों उद्यमियो में परेशानी और निराशा छाई हुई है क्योंकि उन्‍होंने अब भी अपना जेनसेट पीएनजी फ्यूल में कंवर्ट नहीं कराया है। इसका असर यह होगा कि एक घंटे बिजली नहीं रहने पर उद्यमियों को 500 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा। हाइराइज सोसाइटी वासियों को बिना बिजली के रहने पड़ेगा क्योंकि 70 से ज्यादा सोसाइटी में पावर बैकअप डीजल जनरेटर के जरिए है।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा में मिलाकर करीब 12 से 15 हजार उद्योग हैं। इसके अलावा सोसाइटी और निजी संस्थान हैं। शहर में 40 हजार के आस-पास जनरेटर है जिनमें से अब तक करीब चार हजार ही पीएनजी फ्यूल में कनर्वट हो सके हैं। इसमें इंडस्ट्री के 1,500 जनरेटर शामिल हैं। इस स्थिति में यदि डीजल जनरेटर बंद हो जाएंगे तो उद्यम प्रभावित होगा। इसका सीधा असर एमएसएमई सेक्टर पर पड़ेगा। छोटे उद्योगों में 50-100 श्रमिक काम करते हैं यदि इकाईयां बंद होती हैं तो इसका श्रमिकों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

बताया जा रहा है कि डीजल जनरेटर का संचालन बंद होने से सबसे बड़ा असर उद्योगों के अलावा हाईराइज सोसाइटियों, मॉल और अस्पतालों पर पड़ेगा। सोसाइटियों में डीजल जनरेटर का इस्तेमाल पावर बैकअप के लिए किया जाता है। करीब 90 प्रतिशत बिल्डिंग में डीजी सेट कन्वर्ट नहीं कराए गए हैं।

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