दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट और यौन उत्पीड़न मामले में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार की याचिका की योग्यता पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने याचिका के खिलाफ बुनियादी आपत्तियां दर्ज कराते हुए इसके आधार पर नोटिस जारी करने का विरोध किया।
जैन ने न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा की अदालत को बताया कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें यह नहीं बताया गया है कि गैर-अनुपालना के मुद्दे पर सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत एक याचिका ट्रायल कोर्ट के समक्ष दायर की गई थी जिसे उसने खारिज कर दिया था।
जैन ने बताया कि ट्रायल कोर्ट ने 20 मई को कुमार की याचिका खारिज कर दी थी, और तकनीकी आधार पर सीआरपीसी की धारा 397 के तहत कुमार के पास पुनरीक्षण याचिका दायर करने के लिए 90 दिन का समय है।
उन्होंने कहा कि चूंकि कुमार के पास वैकल्पिक उपचार उपलब्ध है, इसलिए यह याचिका अनावश्यक है।
जैन ने कहा कि याचिका में कोई अंतरिम राहत नहीं मांगी गई है। ऐसे में अदालत का ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने से पहले अंतिम दिन मामले की सुनवाई की क्या जल्दबाजी है।
कुमार ने अपनी “अवैध गिरफ्तारी” के खिलाफ हर्जाने की मांग करते हुए याचिका दायर की है।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि अर्नेस कुमार मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि अनावश्यक हिरासत से बचने के लिए गिरफ्तारी के लिए किन प्रक्रियाओं और शर्तों का पालन किया जाना चाहिए।
उन्होंने हाई कोर्ट से उनकी गिरफ्तारी को यह कहते हुए गैर-कानूनी घोषित करने की मांग की है कि अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय कानूनी मानदंडों का पालन नहीं किया है।
अर्नेस कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गिरफ्तारी सिर्फ उन्हीं मामलों में की जानी चाहिए जहां यह बिल्कुल अनिवार्य हो और पुलिस अधिकारियों को इसके लिए लिखित में कारण बताना चाहिए।
कुमार का तर्क है कि उन्हें गिरफ्तार करते समय इन मानकों का पालन नहीं किया गया और इसलिए यह उनके वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
उन्होंने गिरफ्तारी से अनावश्यक नुकसान की बात कहते हुए कथित अवैध हिरासत के लिए हर्जाने की मांग की है।
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। वह इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान मालीवाल अदालत कक्ष में रोने लगीं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें चरित्र हनन और जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने कुमार के वकील के इस तर्क को गलत बताया कि घटना के दिन मालीवाल उनके मुवक्किल को बदनाम करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री आवास पर गई थीं।
कुमार के वकील ने एफआईआर दर्ज कराने में तीन दिन की देरी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि घटना के वक्त विभव मुख्यमंत्री आवास पर नहीं थे और मालीवाल ने वहां जाने के लिए अपॉइंटमेंट नहीं लिया था।
कथित घटना 13 मई की है। कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।