दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक “समन्वित और व्यवस्थित” तंत्र पर चिंता जताई है, जिसमें मियाद खत्‍म हो चुके उत्पादों की नई तिथियों के साथ दोबारा पैकेजिंग और ब्रांडिंग करना और उन्हें बाजार में फिर से पेश करना शामिल है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी.एस.अरोड़ा की पीठ ने इस भ्रामक प्रथा के कई उदाहरण सामने आने के बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू की।

पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर इस चिंताजनक मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी।

इस मामले में अदालत की सहायता के लिए अधिवक्ता श्‍वेताश्री मजूमदार को न्याय मित्र नियुक्त किया गया, आगे की सुनवाई 8 फरवरी को होनी है।

हर्षे कंपनी द्वारा दायर एक सिविल मुकदमे के दौरान न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह द्वारा मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के पास भेजने के बाद जनहित याचिका ने जोर पकड़ लिया। मुकदमे में दिवाली से पहले नकली चॉकलेटों को दोबारा पैकेजिंग करके एक्सपायर्ड चॉकलेट बेचने के खिलाफ निषेधाज्ञा की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति सिंह ने खुलासा किया कि जालसाजों को न केवल हर्षे के ब्रांड और पैकेजिंग के बारे में जानकारी थी, बल्कि उन्होंने खुलेआम उनकी नकल भी की थी और एक्सपायर हो चुकी और नकली चॉकलेटों को असली हर्षे के उत्पादों के रूप में गलत तरीके से पेश किया था।

खंडपीठ ने सार्वजनिक स्वास्थ्य, विशेषकर खाद्य उत्पादों से जुड़ी असाधारण स्थिति की ओर इशारा किया। इसने सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और बाजार की अखंडता को बनाए रखने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत पर बल देते हुए एक्सपायर्ड हो चुकी वस्तुओं को दोबारा पैक करने में स्पष्ट समन्वित तंत्र पर गंभीर चिंता जताई।

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