उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में तैनात 400 ‘विशेषज्ञों’ की सेवाएं अचानक समाप्त कर दी हैं।
इनमें से कई सलाहकार, उप-सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी एवं सलाहकार पद पर तैनात थे। आरोप है कि इन नियुक्तियों में सरकार ने पारदर्शिता का ध्यान नहीं रखा था और इसकी अनुमति भी नहीं ली गई थी।
सर्विस विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नियुक्तियों में डीओपीटी की निर्धारित एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण नीति का भी उल्लंघन किया गया था।
एलजी ने यह निर्णय सर्विस विभाग की रिपोर्ट पर लिया है। इस फैसले से उपराज्यपाल और सत्तारूढ़ ‘आप’ के बीच टकराव बढने की आशंका है।
राजनिवास ने जारी बयान में कहा है कि सर्विस विभाग ने एक रिपोर्ट एलजी को सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें काफी लोग निर्धारित शैक्षणिक योग्यता भी पूरी नहीं पा रहे थे।
इन नियुक्तियों के लिए जारी सार्वजनिक सूचना में निर्धारित नियमों की अनदेखी की गई है और जमा शैक्षणिक दस्तावेजों का सत्यापन भी नहीं कराया गया है। बयान में यह भी आरोप है कि दस्तावेजों की जांच में हेराफेरी भी सामने आई है।
एलजी ने कहा है कि यदि कोई विभाग इन कर्मचारियों को रखना चाहता है तो वह नियमों के तहत विस्तृत प्रस्ताव सर्विस विभाग को दे सकता है। उप-राज्यपाल से अनुमोदन के लिए प्रस्ताव सर्विस विभाग, जीएनसीटीडी को भेज सकता है।
23 विभागों से जानकारी ली गई थी, जिन विभागों ने ऐसी नियुक्तियां कर रखी थीं। 45 दिन या उससे अधिक समय तक चलने वाली अस्थायी नियुक्तियों में आरक्षण की अनदेखी की गई है।