दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक बढ़ोतरी हो गई है। ऐसे हालात में अब विशेषज्ञों ने लोगों को अहम सुझाव दिये हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के मामलों को देखते हुए पैनिक होने की जरूरत नहीं है और जिनकी इम्यून क्षमता कम है खासकर ऐसे लोगों को बचाने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने यह भी सलाह दिया है कि वो मास्क पहनने को लेकर भी सतर्क रहें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
शनिवार को दिल्ली में कोविड-19 के 416 नए केस दर्ज किये गये है। यहां पॉजिटिविटी रेट 14.37 पर पहुंच गया है। शुक्रवार को सरकार की तरफ से इसे लेकर बुलेटिन नहीं जारी किया गया था। गुरुवार को कोरोना के 295 नए केस मिले थे और पॉजिटिविटी दर 12.48 प्रतिशत था।
पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट और महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकात लहरिया ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘इनफेक्शन और बीमारी में अंतर साफ है। इसका मतलब है कि लोग पॉजिटिव हो रहे हैं लेकिन उनमें लक्षण नहीं हैं। फ्लू को लेकर टेस्ट बढ़ाया गया इसलिए केस बढ़ता हुआ भी नजर आ रहा हैं।
जब एक लहर होता है तब मरीज दूसरे रोग की वजह से भर्ती होते हैं और टेस्ट के दौरान कोविड पॉजिटिव मिलते हैं। उन्होंने बताया कि जब से XBB.1.6 वैरिएंट बढ़ा तब से केसों की संख्या बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हमारा फोकस लैबोरेट्री टेस्ट केसों की बजाए क्लिनिकल केसों पर होना चाहिए। भारत में केस जरूर बढ़ रहे हैं लेकिन प्रति दिन होने वाली मौतें नहीं बढ़ी हैं। हमें केसों की सही संख्या को लेकर चिंता नहीं करना चाहिए। यह वो समय है जब हमें क्लिनिकल, Epidemiological और जीनोमिक पर फोकस करना चाहिए और किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए हमें इन सभी पर एक साथ नजर रखना चाहिए।
शुक्रवार को एक रिव्यू मीटिंग के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि पिछले चार-पांच दिनों के दौरान सिर्फ तीन मौतें हुई हैं। इन सभी मरीजों में co-morbidities थी। लहारिया ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। यह फ्लू का सीजन है और हमें vulnerable पॉपुलेशन की सुरक्षा करनी चाहिए। इस सीजन में हम इसी तरह बीमारियों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे, हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि अभी हमारे अस्पताल में 8 मरीज हैं इनमें से एक मरीज वेंटिलेटर और बाकी अन्य मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। यह सभी 25 से 64 साल के एज ग्रुप के हैं। 50 फीसदी कोमोरबिडिटी हैं और अन्य को नहीं है। इनमें से एक को छोड़कर सभी डबल वैक्सीनेटेड हैं।
डॉक्टर सुरेश कुमार ने कहा कि यह तेजी से फैलता जरूर है लेकिन इसमें लोग आंशिक रूप से बीमार होते हैं। सिर्फ कुछ केसों में यह घातक होता है। खासकर वैसे लोग जिन्हें एक से ज्यादा बीमारी हो उनके लिए यह घातक होता है। इनमें से ज्यादा मरीज वो हैं जिन्हें पहले इनफेक्शन था। जब उनसे पूछा गया कि क्या कोरोना के केसों में अचानक काफी तेजी से बढ़ोतरी होने का अनुमान है। तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी वायरस का सर्किल 4 से 6 हफ्तों का होता है। यह एक नया वैरिएंट है, इसलिए हम यह नहीं कह सकते हैं कि पीक जल्दी आएगी।