दिल्ली की सर्विसेज एवं विजिलेंस मंत्री आतिशी ने मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा निर्वाचित सरकार के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है और एलजी विनय सक्सेना को पत्र लिख कर आपत्ति जताई है. सर्विसेज मंत्री ने अपने पत्र में मुख्य सचिव के एक नोट का हवाला दिया है. और लिखा है कि जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम की धारा 45J (5) को लेकर मुख्य सचिव ने अपने नोट में कहा है कि जीएनसीटीडी एक्ट से सेक्शन 3ए को हटाए जाने पर ‘सर्विसेज़ और विजिलेंस’ से संबंधित सभी मामलों की प्रभावी कार्यकारी शक्तियां एलजी के पास होंगी न कि चुनी हुई सरकार के पास.

‘सर्विसेज’ पर कार्यकारी नियंत्रण के मुद्दे पर असहमति जताने के बाद दिल्ली की सर्विसेज मंत्री आतिशी ने एलजी विनय सक्सेना को इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है और उनकी राय भी मांगी है. सर्विसेज मंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 एए के खंड (3) और (4), राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल सभी मामलों के संबंध में पब्लिक ऑर्डर, लैंड और पुलिस को छोड़कर दिल्ली की मंत्रिपरिषद अपनी कार्यकारी शक्ति का प्रयोग करती है और एलजी उन मामलों को छोड़कर बाकी सभी में मंत्रिपरिषद को केवल सलाह दे सकते हैं.

Letter To Lg

LG को लिखे लेटर की प्रति

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई, 2023 के अपने आदेश में सर्वसम्मति से दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा कि दिल्ली सरकार के पास ‘सर्विसेज’ पर विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं.

लेकिन 19 मई, 2023 को जीएनसीटीडी (संशोधन) अध्यादेश, 2023, ने सर्विसेज से संबंधित किसी भी मामले के संबंध में कानून बनाने के लिए दिल्ली विधानसभा की शक्तियों को छीन लिया. इसके परिणामस्वरूप, ‘सर्विसेज’ पर जीएनसीटीडी की कार्यकारी शक्ति भी ले ली गई. जिस दौरान अध्यादेश लागू था- तब लैंड, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर के अलावा ‘सर्विसेज़’ को भी एक आरक्षित विषय माना गया.

दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी. इसके बाद, जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 लागू हुआ. जिसने जीएनसीटीडी (संशोधन) अध्यादेश, 2023 की जगह ले ली. इसमें विशेष रूप से संशोधन अधिनियम ने जानबूझकर धारा 3ए को हटा दिया गया.

फिर भी जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2023 में सर्विसेज के संबंध में एलजी को केवल विशिष्ट शक्तियां प्रदान करता है, जिनका प्रयोग राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण द्वारा की गई सिफारिशों पर ही किया जाना है. इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम के तहत सर्विसेज के संबंध में अन्य सभी शक्तियां जो एलजी या अथॉरिटी को प्रदान नहीं की गई हैं, उनका प्रयोग दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मंत्रीमंडल द्वारा किया जाना है.

जीएनसीटीडी संशोधन अधिनियम की धारा 45 जे (5) के तहत मुख्य सचिव का कहना है कि जीएनसीटीडी अधिनियम से धारा 3ए को हटाने के बावजूद ‘सर्विसेज’ और ‘विजिलेंस’ से संबंधित सभी मामलों पर प्रभावी कार्यकारी नियंत्रण केंद्र सरकार और एलजी के पास है, न कि चुनी हुई सरकार के पास. ऐसे में दिल्ली की चुनी हुई सरकार इस कानूनी व्याख्या से असहमत है और एलजी से इस पर विचार करने की मांग करती है.

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights