दिल्ली की एक अदालत ने हत्या के प्रयास के लगभग छह वर्ष पुराने एक मामले में चार लोगों को दोषी ठहराया है और इस संबंध में गवाहों के बयान के मद्देनजर अपराध में इस्तेमाल हथियार की बरामदगी न होने को अप्रासंगिक बताया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि आरोपियों ने मिलकर दो लोगों पर जानलेवा हमला किया और वे (आरोपी) इस बात का तार्किक कारण नहीं बता पाये कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार गोविंदपुरी थाने में दर्ज किये गये इस मामले की सुनवाई कर रहे थे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कुमार देव, कैलाश सिंह, पूरन मल और ललित ने 17 फरवरी 2018 को अमित और धीरज पर जानलेवा हमला किया जब वे एक जगह पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ समारोह में जश्न मना रहे थे। इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
अदालत ने 19 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले में अपराध में इस्तेमाल हथियार (चाकू) की बरामदगी न होना कोई मायने नहीं रखता, क्योंकि घायल गवाहों की प्रत्यक्ष गवाही आरोपी व्यक्तियों के अपराध को साबित करने के लिए काफी है। उनकी गवाही अभियोजन पक्ष के मामले की सत्यता की सबसे बड़ी गारंटी है क्योंकि वे घायल हुए।’’
अदालत ने कहा कि वह बचाव पक्ष की इस दलील से सहमत नहीं है कि आरोपियों को झूठा फंसाया गया है। उसने कहा कि यह साबित हो गया है कि अमित पर किसी भारी चीज से वार किया गया और धीरज पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया जिससे कि वे गंभीर रूप से घायल हो गए।