दिल्लीवासियों को अभी वायु प्रदूषण से छुटकारा नहीं मिला था कि अब ध्वनि प्रदूषण उनके लिए खतरा बनता जा रहा है। राजधानी में प्रदूषण का स्तर अक्सर बढ़ा रहता है, ऐसे में अब दिल्ली वासियों के लिए ध्वनि प्रदूषण भी एक बड़ा खतरा बन कर आया है। हाल में एक रिपोर्ट ट्रैफिक पुलिस को सौंपी गई, जिसमें बताया गया कि वाहनों से जहां दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक होती जा रही है वहीं ध्वनि प्रदूषण भी अन्य शहरों की तुलना में सबसे ज्यादा है।

रिपोर्ट में इस बात को इंगित किया गया है कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के चलते लोग धीरे-धीरे बहरेपन का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस ने एक विशेष योजना बनाई है और ट्रैफिक कर्मियों द्वारा एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत प्रैशर हार्न और बेवजह हार्न (नो हॉकिंग) बजाने के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। दिल्ली में जैसे-जैसे यातायात में वृद्धि हो रही है, ध्वनि प्रदूषण स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक बड़ी चिंता बन गया है।

ध्वनि प्रदूषण के बढ़ते मुद्दे का सामना करने के लिए दिल्ली यातायात पुलिस सख्त कदम उठा रही है। वर्ष 2022 में, प्रैशर हॉर्न उल्लंघन के मामले 1810 से बढ़कर 3509 हुए हैं। साइलैंस जोन में हॉर्न का उपयोग करने के मामलों में भी वृद्धि हुई जो 2021 के 99 से बढ़कर 2022 में 600 से ज्यादा हो गई। सबसे ज्यादा वृद्धि मॉडीफाइड साइलैंसर के उल्लंघनों में हुई जो कि वर्ष 2021 में 9690 से बढ़कर 2022 में 19,858 हो गए।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा संचालित रियल टाइम मॉनिटरिंग निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों को देखें तो राजधानी के अधिकांश क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर तय मानकों से घटता-बढ़ता रहता है। लेकिन करोल बाग, शाहदरा, लाजपत नगर, द्वारका सहित कई अन्य स्थानों पर यह समस्या गंभीर है।

 

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