Court Order बात वर्ष 2013 की है। उस समय जनकपुरी थाने में तैनात SI सुधीर उज्जवल और महिला सिपाही मीनाक्षी प्राइवेट कार में नारी निकेतन से मेरठ जा रहे थे। सहारनपुर और नागल के बीच बदमाशों ने सड़क पर पेड़ डाल दिया और रास्ता अवरुद्ध करके इस कार को रोक लिया। फिल्मी अंदाज में बदमाशों ने कार चालक की कनपटी पर तमंचा तान दिया और कहा कि अगर ज्यादा हौशियारी दिखाई तो चालक का भेजा खोल देंगे। इस तरह दोनों पुलिसकर्मियों ने सरेंडर कर दिया। बदमाशों ने एसाई सुधीर उज्जवल जो वर्तमान में ATS सहारनपुर यूनिट के प्रभारी हैं उनसे सरकारी पिस्टल लूटी और कार चालक व महिला सिपाही से पर्स और रुपये लूट लिए। इनके मोबाइल फोन भी ले लिए।
घटना के बाद किसी तरह सुधीर उज्जवल नागल थाने पहुंचे और रोड होल्पअप की इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस से मामला दर्ज कर लिया। सरकारी पिस्टल लुट गई थी इसलिए पुलिस ने इस मामले में रात दिन एक कर दी। 13 दिन बाद पुलिस को सफलता मिली। तत्कालीन नागल प्रभारी बचन सिंह तेवतिया और सहारनपुर SOG टीम के प्रभारी संजय पांडेय की टीम ने संयुक्त ऑपरेशन में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इन पाचों ने अपने नाम आबिद, महबूब, नौशाद, सुलेमान और महबूब उर्फ मान बताए। ये पांचों उस समय अपराध की राजधानी के नाम से कुख्यात यूपी के जिले मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे।
पुलिस ने इनसे सरकारी पिस्टल बरामद कर ली। सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश करते हुए पुलिस ने इनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पत्रावली पर आए साक्ष्य और गवाहों की गवाही के आधार पर नयायाधीश सुश्री निधि की अदालत ने इन सभी पांच आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत ने सभी पांचों को दस-दस साल कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही अदालत में इन सभी पर 45 45 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना अदा नहीं करने पर इन पाचों को छह-छह माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।