तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर (एसएलबीसी) सुरंग में फंसे आठ श्रमिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) लगभग 48 घंटों से फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए सुरंग में आगे बढ़ रही है। तेलंगाना के मंत्री जे कृष्ण राव ने संवाददाताओं से कहा कि इन परिस्थितियों में जीवित रहने की संभावना उतनी अच्छी नहीं है। सुरंग के अंदर गए राव के हवाले से कहा, “सुरंग के अंदर बहुत अधिक गंदगी जमा हो गई है, जिससे गुजरना असंभव हो गया है। वे (बचावकर्ता) इसके माध्यम से नेविगेट करने के लिए रबर ट्यूब और लकड़ी के तख्तों का उपयोग कर रहे हैं।”

मंत्री ने कहा कि फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है जिससे बचाव दल के लिए यह एक मुश्किल काम बन गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो उनके बचने की संभावना बहुत, बहुत, बहुत, बहुत कम है क्योंकि मैं खुद उस आखिर छोर तक गया था जो (दुर्घटना स्थल से) लगभग 50 मीटर दूर था। जब हमने तस्वीरें लीं तो (सुरंग का) अंत दिखाई दे रहा था और नौ मीटर के व्यास वाली सुरंग में लगभग 30 फुट में से 25 फुट तक कीचड़ जमा हो गया है।’’ 

शनिवार की सुबह, तेलंगाना के नगरकुर्नूल जिले में डोमलापेंटा के पास 14 किमी के निशान पर एसएलबीसी सुरंग के निर्माणाधीन हिस्से की छत का तीन मीटर का हिस्सा ढह गया। लंबे अंतराल के बाद निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने के ठीक चार दिन बाद यह हादसा हुआ। कुछ मजदूर भागने में सफल रहे, लेकिन आठ फंसे रहे। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि प्रतिक्रिया टीम वर्तमान में सुरंग के अंदर जमा पानी को हटाने के लिए काम कर रही है। लेकिन, क्षेत्र मलबे से अवरुद्ध होने के कारण टीम श्रमिकों के सटीक स्थान की पुष्टि करने में असमर्थ है।

एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट सुखेंदु दत्ता ने एएनआई को बताया कि बल ने मुख्य रूप से लोकोमोटिव और कन्वेयर बेल्ट का उपयोग करके सुरंग के अंदर लगभग 13.5 किलोमीटर की दूरी तय की है। उन्होंने कहा, “कल रात करीब 10 बजे हम यह जांचने के लिए अंदर गए कि स्थिति क्या है।” एनडीआरएफ अधिकारी के मुताबिक, सुरंग के गेट से प्रवेश करने के बाद यम ने 13.5 किलोमीटर की दूरी तय की। दत्ता ने कहा, “हमने 11 किमी ट्रेन से और फिर बाकी 2 किमी कन्वेयर बेल्ट और पैदल चलकर तय किया।

अधिकारी ने कहा कि ढहे हुए हिस्से का आखिरी 200 मीटर हिस्सा मलबे से पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है, जिससे फंसे हुए श्रमिकों की स्थिति या सटीक स्थान की पुष्टि करना मुश्किल हो गया है। एनडीआरएफ के मुताबिक, 11 से 13 किमी के बीच का पैच पानी से भरा हुआ है. पानी हटने के बाद बचाव कार्य शुरू होगा।

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