भारत की तेज आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में भी जारी रहेगी। इसकी वजह शहरी और ग्रामीण खपत का बढ़ना है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से यह जानकारी गुरुवार को दी गई। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत रह सकती है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में यह 7.2 प्रतिशत रह सकती है।

आगे उन्होंने कहा कि देरी से और कमजोर शुरुआत के बाद दक्षिण पश्चिम मानसून में वृद्धि देखी गई है। 7 अगस्त तक यह लंबी अवधि के औसत से 7 प्रतिशत अधिक है। 2 अगस्त तक खरीफ फसलों की बुआई में पिछले साल के मुकाबले 2.9 प्रतिशत अधिक है।

इंडस्ट्रियल आउटपुट में मई 2024 में सालाना आधार पर 5.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि देश का कोर इंडस्ट्री आउटपुट जून में 4 प्रतिशत बढ़ा है, जो कि मई में 6.4 प्रतिशत पर था।
वहीं, अन्य हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर का जून-जुलाई का डेटा बता रहा है कि सर्विसेज सेक्टर की एक्टिविटी में वृद्धि हो रही है। निजी खपत में बढ़ोतरी होने के कारण निजी निवेश की गतिविधियों में भी इजाफा हुआ है। अप्रैल-जून के बीच व्यापारिक निर्यात, गैर-तेल और गैर-गोल्ड आयात, सेवाओं का आयात-निर्यात बढ़ा है।

आगे उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में उथल-पुथल और भू-आर्थिक विखंडन अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम है। मौसम विभाग की ओर से सामान्य से अच्छा मानसून रहने का अनुमान जताया गया है, यह खरीफ फसलों के लिए काफी अच्छा है। इससे ग्रामीण मांग बढ़ेगी।

मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज में बढ़त इस ओर इशारा कर रही है कि शहरी मांग भी स्थिर रहेगी। इन्वेस्टमेंट एक्टिविटीज में बढ़त दिखाने वाले हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर जैसे स्टील की मांग, बैंकों और कंपनियों की बैलेंस शीट इस ओर इशारा कर रही हैं कि निवेश गतिविधियों में बढ़त हो रही है।

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