तिरुपति बाला जी मंदिर के प्रसाद में मिलावट और लड्डू जिस घी से बनता था उसमे जानवरों की चर्बी मिलने के विवाद के बाद अब मंदिरों में प्रसाद को लेकर सभी जगह सतर्कता बरती जा रही है। इसी को देखते हुए उत्तराखंड के चारों धामों में भी प्रसाद के लिए विशेष ध्यान रखा जाएगा।

बदरी-केदार मंदिर समिति ने एसओपी जारी की है। साथ ही साल में कम से कम एक बार फूड सेफ्टी ऑडिट होगा। उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चार धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ हैं।

गंगोत्री व यमुनोत्री की अपनी अपनी मंदिर समितियां हैं। जबकि केदारनाथ व बद्रीनाथ मंदिर बदरी केदार मंदिर समिति के अधीन हैं। इसके साथ ही अन्य मंदिर भी बद्री केदार ​मंदिर समिति के अंर्तगत ही आती हैं।

बद्री केदार मंदिर समिति ने बीकेटीसी के अधीन आने वाले मंदिरों में भोग और प्रसाद की गुणवत्ता व शुद्धता के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। तिरुपति मंदिर में प्रसाद में मिलने वाला देसी घी के लड्डू में मिलावट का मामला सामने आने के बाद बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने भी बदरीनाथ, केदारनाथ धाम व अन्य मंदिरों में भोग व प्रसाद के लिए एसओपी जारी की है।

एसओपी की खास बातें

  • भोग प्रसाद तैयार करने और उसमें इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामग्री, भंडारण के साथ निगरानी होगी
  • साल में कम से कम एक बार भोग प्रसाद की फूड सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा।
  • प्रसाद व भोग में इस्तेमाल होने वाले चावल, तेल, घी, मसाले, केसर की जांच और विश्वसनीय व्यापारी से खरीदा जाएगा।
  • भोग व प्रसाद को बनाने के लिए इस्तेमाल तेल को अधिकतम तीन बार से ज्यादा उपयोग न किया जाए।
  • भोग और प्रसाद तैयार करने के लिए कर्मचारियों को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए।
  • खाद्य सामग्री को लंबे समय तक स्टॉक में न रखा जाए।
  • गुणवत्ता और शुद्धता की जांच के लिए नियमित रूप से निगरानी की जाएगी। साल में एक बार भोग और प्रसाद का फूड सेफ्टी ऑडिट किया जाएगा।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की ओर से अधिकृत प्रयोगशाला में खाद्य सामग्री की जांच कराई जाएगी।

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