लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बहुचर्चित ताज कॉरिडोर घोटाला मामले में बसपा सुप्रीमो मायावती और एनपीसीसी के पूर्व एजीएम की मुश्किलें बढ़ सकती है।175 करोड़ रुपये की कॉरिडोर परियोजना घोटाले में सीबीआई को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) के सेवानिवृत्त एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ 20 साल बाद पहली बार अभियोजन की मंजूरी मिल गई है। महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन को पत्रावली में शामिल किया गया है। अब इस मामले में उन पर केस चलेगा।

बता दें कि, सीबीआई की विशेष कोर्ट ने सीएमडी रजनीकांत अग्रवाल को गवाह बनाने का निर्देश दिया है। इस मामले में सीबीआई 22 मई को फिर सुनवाई करेगी और कोर्ट ने सुनवाई के दौरान विवेचक और पैरवी अधिकारियों को भी रहने के आदेश दिए है। इससे पहले भी पैरवी अधिकारी अमित कुमार ने महेंद्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन स्वीकृत की मूल प्रति के साथ कोर्ट में अर्जी दी थी। सीबीआई ने 15 फरवरी 2007 को तत्कालीन सीएम, पर्यावरण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्क्की ,तत्कालीन सचिव पर्यावरण आरके शर्मा, अनुसचिव राजेन्द्र प्रसाद ,महेंद्र शर्मा पर 17 करोड़ की धन राशि हासिल कर के पद का दुरप्रयोग करने और प्राइवेट पार्टी से अनुचित लाभ लेने के आरोपों पर चार्जशीट दायर की थी। इस घोटाले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व प्रदेश सरकार के अधिकारियों सहित 11 लोगों को आरोपित बनाया था।

आरोप लगा था कि पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी मिलने से पहले ही इस कॉरिडोर के लिए 17 करोड़ रुपए जारी कर दिया गया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस कॉरिडोर की पड़ताल करने के लिए आदेश दिया था। जिसके बाद सीबीआई ने इस मामले में 2007 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। तब मायावती के साथ नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर गंभीर आरोप लगे थे। लेकिन मायावती के मुख्यमंत्री बनते ही इस केस को चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया गया था। इसके बाद सीबीआई कोर्ट में चल रही जांच रुक गई थी। मगर अब फिर इस मामले में CBI एक्शन में आ गई है।

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