केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 किसी भी राज्य पर हिंदी को लागू नहीं करती है। उन्होंने आगे उल्लेख किया कि इस नीति का तमिलनाडु सरकार का विरोध राजनीति से प्रेरित था। पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रधान ने स्पष्ट किया कि एनईपी मातृभाषा आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करती है। उन्होंने बताया, “हमने एनईपी 2020 में कभी नहीं कहा कि केवल हिंदी होगी। शिक्षा मूल भाषा में होगी। तमिलनाडु में, यह तमिल होगी।”

उनका बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु सरकार एनईपी 2020 की तीन-भाषा नीति का विरोध कर रही है। राज्य ने क्षेत्रीय भाषाओं पर नीति के प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। प्रधान ने ऐसी चिंताओं को राजनीतिक कहकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “एनईपी 2020 हिंदी, तमिल, उड़िया और पंजाबी सहित सभी भाषाओं पर प्रकाश डालता है। सभी भाषाओं का समान महत्व है। तमिलनाडु में कुछ लोग राजनीतिक उद्देश्यों के कारण इसका विरोध कर रहे हैं।”

इससे पहले दिन में, प्रधान ने दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदू कॉलेज के 126वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक समारोह में बात की। उन्होंने त्रिभाषा नीति के महत्व और रोजगार तथा राष्ट्रीय एकता में इसके योगदान पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ”देश भर में तीन-भाषा फॉर्मूला अपनाया जाना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि एक बहुभाषी स्कूल प्रणाली किसी भी क्षेत्र के व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त करने में सहायता करेगी। उन्होंने कहा, ”विशेषज्ञों ने देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए, आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में एक त्रिभाषी फॉर्मूले की पहचान की है।”

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