कल्पना कीजिए कि डॉक्टर ने किसी व्यक्ति को मृत घोषित किया हो और परिवार शोक में डूबा हो। अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही हो और पार्थिव शरीर को चिता पर रखा जाता है। तभी अचानक वह व्यक्ति सांस लेने लगता है। यह चमत्कार सा लगता है, लेकिन ऐसी घटनाएं वास्तविकता में घटित हो चुकी हैं। इसे लाजारस सिंड्रोम कहा जाता है, जो एक दुर्लभ घटना है। वैज्ञानिक शब्दों में जब व्यक्ति को मृत घोषित करने के बाद अचानक उसकी धड़कन और सांसें फिर से शुरू हो जाती हैं, तो इसे लाजारस सिंड्रोम कहते हैं। इस प्रकार की घटनाएं दुनिया में अब तक 80 बार घटित हो चुकी हैं। इसका नाम बाइबल के पात्र लाजारस से लिया गया है, जिसे येशु मसीह ने चार दिन बाद मृत्यू से जीवित किया था।
लाजारस सिंड्रोम के अधिकांश मामलों में डॉक्टर सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) देते हैं, तो दिल में रक्त का प्रवाह फिर से शुरू हो जाता है। यह वैज्ञानिक प्रक्रिया रक्त संचार को बहाल करती है, जिससे शरीर में जीवन लौटने लगता है।
राजस्थान का झुंझुनू जिला
21 नवम्बर 2024 को झुंझुनू जिले में एक मूक-बधिर युवक को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। युवक का शव अस्पताल के फ्रीजर में रखा गया, जब परिवार अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा था और शव को चिता पर रखा गया, तो वह युवक अचानक सांस लेने लगा। यह घटना सभी को हैरान कर देने वाली थी। डॉक्टरों की लापरवाही पर सवाल उठाए गए और तीन चिकित्सकों को निलंबित कर दिया गया।
महाराष्ट्र के बारामती में
यह घटना कोरोना संक्रमण से जुड़ी हुई थी। शकुंतला गायकवाड़ नामक महिला को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, जब उनका अंतिम संस्कार हो रहा था, तो वह अचानक उठकर बैठ गईं। डॉक्टरों के मुताबिक, यह सीपीआर और दवाओं के प्रभाव से हुआ हो सकता है। हालांकि, यह घटना डॉक्टरों के लिए भी अविश्वसनीय थी।
बिहार के बेगूसराय जिला
यह घटना 60 वर्षीय रामवती देवी की है, जिन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था। शव को चिता पर रखा गया, लेकिन अचानक से वह महिला आंखें खोल बैठीं। यह देख मौके पर मौजूद लोग हैरान रह गए। डॉक्टरों का मानना था कि यह ब्लड सर्कुलेशन के कारण हुआ, जो शव को एम्बुलेंस से श्मशान ले जाते समय शरीर के हल्के झटकों से सक्रिय हो सकता है।