डेलॉयट इंडिया द्वारा किए गए एग्जिक्यूटिव परफॉर्मेंस और रिवार्ड्स सर्वे के अनुसार, 2025 तक भारत में सीईओ की औसत सैलरी 10 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इस रिपोर्ट में पिछले साल के मुकाबले 13 फीसदी की वृद्धि दिखाई गई है, जो देश में शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 40 फीसदी सीईओ की सैलरी तयशुदा है, जबकि बाकी 60 फीसदी की सैलरी उनके प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित होती है। यह दर्शाता है कि कंपनियां अब अपने शीर्ष अधिकारियों को उनके प्रदर्शन और परिणामों के आधार पर अधिक प्रोत्साहित करने की नीति अपना रही हैं। इस रिपोर्ट से यह साफ है कि भारतीय कंपनियों में सीईओ और अन्य शीर्ष अधिकारियों की सैलरी में बढ़ोतरी एक स्पष्ट संकेत है कि कंपनियां अब अपने नेताओं को और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित कर रही हैं। वहीं, स्टॉक-आधारित इंसेंटिव के बढ़ते चलन से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों को अधिक स्थिरता और दीर्घकालिक योगदान के लिए पुरस्कार देने का रुख अपना रही हैं।
अन्य शीर्ष पदों की सैलरी में भी बढ़ोतरी
सीईओ के अलावा, अन्य प्रमुख पदों पर भी सैलरी में बढ़ोतरी देखी गई है। इनमें चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO), चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO), चीफ ह्यूमन रिसोर्सेज ऑफिसर (CHRO), चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (CMO), और चीफ सेक्यूरिटी ऑफिसर (CSO) शामिल हैं। इन सभी पदों पर सैलरी में 7 से 11 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। इन भूमिकाओं में कुल सैलरी का करीब 60 फीसदी हिस्सा तय होता है, जबकि बाकी 40 फीसदी छोटी और लंबी अवधि के इंसेंटिव्स के तौर पर कर्मचारियों को दिए जाते हैं। इस तरह की सैलरी संरचना यह संकेत देती है कि कंपनियां अपने नेतृत्व स्तर पर प्रेरणा देने के लिए अधिक बोनस और इंसेंटिव्स का उपयोग कर रही हैं।
सर्वे में 400 कंपनियों का भागीदारी
डेलॉयट इंडिया के इस सर्वे में कुल 400 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। इन कंपनियों में विभिन्न उद्योगों और क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां शामिल थीं, लेकिन सरकारी कंपनियों को इसमें शामिल नहीं किया गया था। यह सर्वे विशेष रूप से प्राइवेट कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के वेतन और रिवार्ड सिस्टम पर केंद्रित था। डेलॉयट इंडिया के एग्जिक्यूटिव परफॉर्मेंस रिवॉर्ड्स सर्वे का यह छठा संस्करण सितंबर 2024 में लॉन्च किया गया था, और इसने कंपनियों की नेतृत्व और वेतन संरचना पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
स्टॉक-आधारित इंसेंटिव का बढ़ता चलन
सर्वे में यह भी पाया गया कि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में कंपनियां अब वित्तीय और रणनीतिक लक्ष्यों में कमी के आधार पर कम इंसेंटिव दे रही हैं। इसके बावजूद, स्टॉक-आधारित इंसेंटिव का चलन कंपनियों में बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ती हुई प्रवृत्ति का मतलब है कि कंपनियां अपने शीर्ष अधिकारियों को लंबे समय तक स्थिरता और प्रदर्शन के लिए अधिक पुरस्कार दे रही हैं, जो उन्हें कंपनी के लाभ में हिस्सा देने का एक तरीका है।
अर्थव्यवस्था और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद सैलरी में इजाफा
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं और बाजार कई उतार-चढ़ाव से गुजर रहे हैं, तब भी कंपनियों के नेतृत्व स्तर पर सैलरी में वृद्धि एक बड़ी बात है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत में उच्चस्तरीय नेतृत्व के लिए कंपनियां अपने शीर्ष अधिकारियों को एक स्थिर और आकर्षक पैकेज देने के लिए तैयार हैं। डेलॉयट इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक भारत में सीईओ की औसत सैलरी 10 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। पिछले साल की तुलना में इसमें 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, स्टॉक-आधारित इंसेंटिव का चलन भी बढ़ रहा है, जो कंपनियों की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है।