एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कहा कि वायुसेना की अभियानगत योजनाएं बहुत ही मजबूत हैं और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जहां भी यह ‘‘शत्रु की संख्या या शक्ति’’ का मुकाबला नहीं कर सकती वहां बेहतर तरकीबों, प्रशिक्षण के जरिये और पर्वतीय रडार जैसे स्वदेश निर्मित सैन्य उपकरण, लंबी दूरी की मिसाइलें तथा ‘अपग्रेडेड’ लड़ाकू विमानों को तैनात कर चुनौतियों से निपेटेगी।

वायुसेना प्रमुख ने आठ अक्टूबर को मनाये जाने वाले वायुसेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में, पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी सीमा विवाद पर कहा कि टकराव वाले शेष स्थानों से (दोनों देशों के) सैनिकों को पीछे हटाये जाने तक क्षेत्र में सीमा पर वायुसेना की तैनाती बनी रहेगी।

वायुसेना की अभियानगत शक्ति को मजबूत करने के लिए उठाये गए कदमों का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये की लागत से 97 तेजस मार्क 1ए विमान खरीदने के अनुबंध को जल्द पूरा किया जाएगा। फरवरी 2021 में, रक्षा मंत्रालय ने इस तरह के 83 विमानों की खरीद के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि 84 सुखोई-30एमकेआई विमानों को 60,000 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत करने की एक अन्य परियोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि वायुसेना अगले सात-आठ साल में ढाई-तीन लाख करोड़ रुपये के मिलिट्री प्लेटफॉर्म, उपकरण एवं हार्डवेयर शामिल करने पर विचार कर रही है।

सैन्य बुनियादी ढांचे में चीन के तेजी से विस्तार करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हवाई साजो-सामान की तैनाती किये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वायुसेना सीमा पार स्थिति पर आईएसआर (खुफिया, निगरानी, और टोह) तंत्र के जरिये निरंतर नजर रखे हुए है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पर एकत्र किये गये संसाधनों और क्षमताओं का संज्ञान लेंगे। हमारी अभियानगत योजनाएं बहुत मजबूत हैं और स्थिति के आधार पर बदलती रहती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए उन स्थानों पर, जहां हम शत्रु की संख्या या शक्ति का असल में मुकाबला नहीं कर सकते, हम बेहतर तरकीबों और बेहतर प्रशिक्षण से इसका मुकाबला करेंगे।’’

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि वायुसेना की एलएसी पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साजो-सामान की तैनाती के संदर्भ में कोई एक तय सोच नहीं है।

उन्होंने कहा, ” हमारा ध्यान हर समय गतिशील रहेगा और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साजो-सामान की तैनाती के मामले में एक तय मानसिकता नहीं रहेगी।”

उन्होंने कहा कि वायुसेना सीमाओं पर निगरानी बेहतर करने के लिए पर्वतीय रडार तैनात करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।

उन्होंने कहा कि चीन ने समूची उत्तरी सीमा पर रडार तैनात किए हैं और भारतीय वायुसेना को शत्रु की निगरानी क्षमता के बारे में पता है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हमारा जवाब हमारी पर्वतीय रडार परियोजना के माध्यम से है। इसके अलावा, हमारे पास हल्के राडार हैं जिन्हें हम सीमाओं के पार होने वाले घटनाक्रमों के आधार पर लगातार तैनात और पुन: तैनात करते रहते हैं।”

उन्होंने कहा, “लंबे समय में, हम इन सामरिक स्थानों पर पर्वतीय राडार तैनात करने पर विचार कर रहे हैं ताकि शत्रु के क्षेत्र में समान रूप से देखने में सक्षम हो सकें।”

उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए लंबी दूरी की मिसाइलों, रडार और अन्य निगरानी उपकरणों जैसी विभिन्न हथियार प्रणालियों की खरीद कर रही है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारा जोर हर वक्त बदलाव करने पर बना रहेगा और खास इलाकों में साजो-सामान की तैनाती के संदर्भ में तय सोच नहीं होगी। लेकिन हम बहुत ही लचीली और मजबूत युद्ध नीति रखेंगे, जिसकी हर वक्त समीक्षा की जाती रहेगी और फिर यह हमें प्राप्त खुफिया सूचनाओं पर आधारित होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्थिति वही बनी रहेगी जो पिछले एक साल में थी। टकराव वाले कुछ स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाया गया है। लेकिन उन्हें अब तक पूर्णत: नहीं हटाया गया है।’’

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘सैनिकों को पूरी तरह से हटाये जाने तक हम तैनात रहेंगे।’’

वायुसेना प्रमुख चौधरी ने एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि वायुसेना को एस-400 मिसाइल प्रणाली की तीन इकाइयां प्राप्त हुई हैं और शेष दो इकाइयां अगले वर्ष तक मिल जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत सेना की आवश्यकता को फिर से बता रही है और वायुसेना क्षेत्र में भारत की सैन्य ताकत दिखाने का आधार बनी रहेगी।

रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक पर, उन्होंने कहा कि भारत के शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए पूर्ण क्षमता विकसित करने की जरूरत है।

उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को विश्व का ‘नया आर्थिक और रणनीतिक केंद्र’ बताया जो चुनौतियां और अवसर, दोनों दे रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे क्षेत्र में अस्थिर और अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए एक मजबूत और विश्वसनीय सेना जरूरी है।’’

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