इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना के सर्वेक्षण करने के इंकार करने के जिला जज के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी की है। अदालत ने कहा है कि मामला विचारणीय है। लिहाजा, सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करने के बाद मामले की सुनवाई की अगली तिथि तय कर दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने हिंदू पक्ष की ओर से राखी सिंह की ओर से दाखिल पुनरीक्षण अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। इसके पहले कोर्ट ने सुनवाई शुरू की तो याची अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने कोर्ट से वजूखाने के सर्वे की मांग की। इस पर कोर्ट ने पूछा कि एएसआई सर्वे तो हो चुका है, और उसकी रिपोर्ट आ चुकी है। पूर्व में हुए एएसआई सर्वे और इस पुनर्विचार याचिका के सर्वे में क्या अंतर है।
मिली जानकारी के मुताबिक, वादी अधिवक्ता ने बताया कि वजूखाना प्रतिबंधित क्षेत्र में स्थित है और पूर्व में दाखिल याचिका में प्रतिबंधित क्षेत्र के वजूखाने की सर्वे की मांग नहीं की गई थी। जिला जज के समक्ष वजूखाने के सर्वे की मांग के लिए अर्जी दाखिल की गई थी लेकिन जिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए 10 अक्तूबर 2023 को अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने सर्वे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेश और अर्जी को देखा। इसके बाद मामले को विचारणीय मानते हुए पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान एडीशनल सॉलिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह, मनोज कुमार सिंह, सीएचसी कुनाल रवि सिंह, हरे राम त्रिपाठी, विनित संकल्प, विष्णु शंकर जैन आदि पक्ष रखने के लिए मौजूद रहे।
गौरतलब है कि इस मामले को इसके पहले 24 जनवरी को एक दूसरी कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए पेश किया गया था, लेकिन पूर्व पीठ ने मामले को अपने यहां से दूसरी पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए मुख्य न्यायमूर्ति के समक्ष भेज दिया था। उसके बाद इस मामले को न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसके पहले हिंदू पक्ष राखी सिंह की ओर से जिला जज के समक्ष दाखिल सिविल वाद में तर्क दिया गया था कि ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए वुजूखाना (शिवलिंग को छोड़कर) का सर्वेक्षण आवश्यक है। जिला जज ने हिंदू पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई 2022 के अपने आदेश के जरिए उस क्षेत्र की विधिवत सुरक्षा करने का आदेश दिया है, जहां कथित शिवलिंग पाए जाने की बात कही गई है। इसीलिए एएसआई को क्षेत्र का सर्वेक्षण करने का निर्देश देना उचित नहीं है। क्योंकि, यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा।
जिला जज ने यह भी कहा है कि विशेष क्षेत्र को 2022 के मुकदमें में पारित 21 जुलाई 2022 के आदेश के तहत उनकी अदालत द्वारा आदेशित एएसआई सर्वेक्षण के दायरे से बाहर रखा गया। याची की ओर से जिला जज के आदेश को हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर वजूखाना का सर्वेक्षण की मांग की है। कहा गया है कि यह न्याय हित में आवश्यक है। इससे वादी और प्रतिवादियों को समान रूप से लाभ होगा और 2022 के मुकदमें में उचित निर्णय पर पहुंचने में अदालत को मदद मिलेगी।