सांसद शशि थरूर ने उनके कांग्रेस छोड़ने की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि जो कोई भी यह मानता है कि राष्ट्रीय हित में काम करना कोई पार्टी विरोधी गतिविधि है, उसे खुद से सवाल करने की जरूरत है।

थरूर पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को भारत के रुख से अवगत कराने के लिए एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं और वह इस समय अमेरिका में हैं।

कुछ कांग्रेस नेताओं ने पहलगाम हमले के बाद सरकार के रुख का समर्थन करने के लिए थरूर की आलोचना की है। कांग्रेस नेता को उनकी पार्टी के एक सहयोगी ने तो ‘‘भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) का महाप्रवक्ता’’ तक कह दिया।

थरूर ने बुधवार को ‘पीटीआई वीडियोज’ से एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘सच कहूं तो, जब कोई देश की सेवा कर रहा हो, तो मुझे नहीं लगता कि उसे इन चीजों के बारे में बहुत ज्यादा चिंता करने की जरूरत है।’’

जब उनसे पूछा गया कि भारत लौटने पर वह अपने आलोचकों को क्या संदेश देंगे, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जो कोई भी यह समझता है कि राष्ट्रीय हित में काम करना किसी प्रकार की पार्टी विरोधी गतिविधि है, उसे हमसे नहीं, बल्कि खुद से सवाल करने की जरूरत है।’’

कई बार कुछ मुद्दों पर थरूर की टिप्पणियां कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक रुख से भिन्न रही हैं।

सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि क्या थरूर कांग्रेस में बने रहेंगे या भाजपा में शामिल होंगे। इन अटकलों को लेकर थरूर ने कहा, ‘‘मैं संसद का निर्वाचित सदस्य हूं। मेरे कार्यकाल के चार साल बाकी हैं। मुझे नहीं पता कि इस पर कोई सवाल क्यों पूछा जा रहा है।’’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए हाल में कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फोन आने के बाद उन्होंने ‘‘आत्मसमर्पण’’ कर दिया है। थरूर ने इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘‘लोकतंत्र में राजनीतिक दलों द्वारा विरोध करना, आलोचना करना और मांगें करना सामान्य बात है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां किसी पार्टी के राजनीतिक मिशन पर नहीं आए हैं। हम यहां एकजुट भारत के प्रतिनिधि के तौर पर आए हैं।’’

थरूर ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में तीन धर्मों और सात राज्यों से पांच राजनीतिक दल शामिल थे।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने देखा कि उनके मित्र सलमान खुर्शीद से पूछा गया कि क्या आजकल भारत में देशभक्त होना इतना मुश्किल है।

थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी. हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी (भारतीय जनता पार्टी), भुवनेश्वर कलिता (भारतीय जनता पार्टी), मिलिंद देवरा (शिवसेना), तेजस्वी सूर्या (भारतीय जनता पार्टी) और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत संधू शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल 24 मई को भारत से न्यूयॉर्क पहुंचा था और फिर यह गुयाना, पनामा, कोलंबिया एवं ब्राजील की यात्रा करके वॉशिंगटन आया।
थरूर ने कहा, ‘‘यह प्रतिनिधिमंडल भारत की विविधता को दर्शाता है। हम एकजुट होकर एक संदेश लेकर आए हैं इसलिए इस समूह में विविधता में भी एकता दिखती है। मेरे विचार से हमारा ध्यान इस एकजुट संदेश पर होना चाहिए क्योंकि जब राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो मुझे लगता है कि कुल मिलाकर राष्ट्र एकजुट है।’’

थरूर ने कहा कि वे किसी पार्टी के राजनीतिक मिशन पर नहीं हैं बल्कि एकजुट भारत के प्रतिनिधियों के तौर पर कई देशों का दौरा कर रहे हैं।

उन्होंने एक पुराने साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘हमारे राजनीतिक मतभेद सीमा पर खत्म हो जाते हैं। जब आप एक बार सीमा पार कर लेते हैं तो आप भारतीय हो जाते हैं और आपकी अन्य निष्ठाएं दोयम हो जाती हैं।’’

भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्षविराम’’ में मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बार-बार किए जा रहे दावों से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए थरूर ने कहा, ‘‘मुझे इस पर बात करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मैं ‘व्हाइट हाउस’ (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) के साथ हमारे संबंधों में किसी भी तरह की जटिलता पैदा करने के लिए यहां नहीं हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम अमेरिकी राष्ट्रपति पद और अमेरिका के राष्ट्रपति का बहुत सम्मान करते हैं और मुझे लगता है कि हम ठीक से नहीं जानते कि उनके लोगों ने पाकिस्तान से क्या कहा।’’

थरूर ने कहा, ‘‘किसी को हमें समझाने की जरूरत नहीं, क्योंकि पहले दिन से ही हमारा संकेत था कि अगर पाकिस्तान जवाबी हमला करता है तो हम उस पर और भी जोरदार हमला करेंगे। अगर वे रुकते हैं तो हम भी रुक जाएंगे। हमने पहले दिन से ही यह कहा था। हमने आखिरी दिन भी यही कहा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमारे दृष्टिकोण से हमें रुकने के लिए कहने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि पाकिस्तान के रुकते ही हमें रुक जाना था।’’

थरूर ने कहा, ‘‘बेशक, उन्होंने (अमेरिका ने) पाकिस्तान से बात की होगी। उन्होंने पाकिस्तान से कई बातें कही होंगी। हम कभी नहीं जान पाएंगे कि क्या कहा गया क्योंकि यह उनके और पाकिस्तान के बीच की बात है।…’’

उन्होंने कहा, ‘‘(बातचीत के बारे में) मैं आपको नहीं बता सकता क्योंकि मैं पाकिस्तानी नहीं हूं और मैं अमेरिकी भी नहीं हूं।’’

पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकवादी ढांचों पर सटीक हमले किए थे जिसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारत ने कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुंचाकर पाकिस्तानी हमलों का कड़ा जवाब दिया।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने 10 मई को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान के बीच भूमि, वायु और समुद्र में सभी प्रकार की सैन्य कार्रवाइयों को रोकने को लेकर सहमति बन गई है।

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