लखनऊ। सुल्तानपुर जिला जेल में दो विचाराधीन बंदियों द्वारा पिछले दिनों आत्महत्या किए जाने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी समेत देश की सभी जेलों में आने वाले बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच किए जाने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने कहा है कि जेलों में बंदियों द्वारा आत्महत्या किए जाने या स्वयं को घायल कर दिए जाने की घटनाएं चिंता का विषय है।

बंदियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्र के निर्देश पर जारी 15 सूत्रीय एडवाइजरी पर तीन माह में अनुपालन सुनिश्चित किए जाने को कहा गया है। आयोग ने यूपी समेत अन्य सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बाबत भेजे निर्देश पत्र में कहा है कि बंदियों को जेल में निरुद्ध करते समय उनके मानसिक स्वास्थ्य की जांच किया जाना अपरिहार्य है।

आयोग ने यह भी परामर्श दिया है कि बंदियों की उनके परिजनों से मुलाकात व फोन से बात कराए जाने को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए सभी बंदियों के परिजनों व करीबियों को फोन नंबर उपलब्ध रहने चाहिए। जेलों में बढ़ रही आत्महत्याओं पर प्रभावी अंकुश लगाने पर जोर देते हुए आयोग ने कहा है कि जेल की बैरकों व शौचालयों में लोहे की ग्रिल, राड, पंखें, कुंडे आदि को हटा दिया जाए, जिससे कि इनसे फांसी लगाकर आत्महत्या किए जाने की घटनाओं पर रोक लग सके।

जेलों में फर्श अथवा शौचालयों की साफ-सफाई में प्रयोग में आने वाले केमिकल, फिनायल व एसिड आदि को बंदियों की पहुंच से दूर रखे जाने, निर्माण कार्य से संबंधित उपकरणों, रस्सी, शीशे, औजार व सीढ़ी आदि भी जेल प्रशासन की लगातार निगरानी में रखे जाने को कहा गया है। साथ ही बंदियों की बैरकों में उनके बिस्तर, चादर व कंबल आदि की लगातार जांच किए जाने का परामर्श दिया गया है ताकि कोई बंदी इनका आत्महत्या के लिए इस्तेमाल न कर सके।

 

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