आजम खान मामले में सांसद/विधायक सत्र जज अमित वीर सिंह ने शिकायतकर्ता अनिल कुमार चौहान का बयान दर्ज कराकर निचली अदालत द्वारा दी सजा को पलट दिया है। सपा वरिष्ठ नेता आजम खान को निचली अदालत से पूर्व में तीन साल की सजा दी गई जिसे एमपी/एमएलए कोर्ट के जज ने पलट दिया। बुधवार को दिए फैसले में कोर्ट ने चौहान के उस बयान की ओर इशारा किया जिसमें कहा गया था मैंने जिला निर्वाचन अधिकारी (इस मामले में डीएम) के दबाव में शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने पाया कि आजम और उनके परिवार के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट आंजनेय कुमार सिंह के साथ रिश्ते अच्छे नहीं थे।
अदालत के आदेश में कहा गया कि टिप्पणियां तत्कालीन डीएम पर की गई थीं, जो एक आपराधिक शिकायत दर्ज कर सकते थे या एक दीवानी मुकदमा दायर कर सकते थे, लेकिन इसके बजाय उन्होंने चौहान पर शिकायत दर्ज करने के लिए दबाव डाला। अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 153-ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 505-1 (सार्वजनिक शरारत) और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत आने वाले अपराध के मूल तत्व शिकायत में कहीं नहीं पाए गए। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का संदर्भ लिया और कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 65-बी (बयान वाले इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान करना और इसे पेश करने के तरीके का वर्णन करना) का पालन नहीं किया गया था।
वहीं पूर्व सांसद जयाप्रदा पर अभद्र टिप्पणी मामले सुनवाई न हो सकीं। एमपी-एमएलए कोर्ट की न्यायिक मजिस्ट्रेट के अवकाश पर रहने से सुनवाई स्थगित हो गई। सुनवाई अब 7 जून को होगी। चार साल पहले कटघर के मुस्लिम डिग्री कॉलेज में आजम खां के सम्मान समारोह में सपा के कार्यक्रम में जया प्रदा पर अश्लील टिप्पणी की गई। आजम, सपा सांसद समेत कई के खिलाफ मुकदमा कायम कराया गया था।