केदारनाथ मंदिर में लगा सोना एक बार फिर से विवादों में घिर गया है। इस बार मंदिर में लगे सोने पर जगदगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने विवाद खड़ा किया है।

वहीं शंकराचार्य के बयान के बाद बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य हैं कि नहीं, मैं इस विवाद में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन वह संत होने के नाते मर्यादित भाषा का प्रयोग करें। यदि मंदिर में लगे सोने को लेकर उनके पास कोई साक्ष्य हैं तो वह प्रस्तुत करें और फिर किसी भी प्रकार की बयानबाजी करें।

दरअसल, केदारनाथ मंदिर को वर्ष 2022-23 में स्वर्णमंडित किया गया था। उस दौरान तीर्थ पुरोहित समाज ने आरोप लगाया था कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की जगह तांबा लगाया गया है, जिसके बाद आंदोलन किया गया, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया और ना ही सरकार की ओर से कभी मामले में बयान जारी किया गया।

हालांकि बद्री-केदार मंदिर समिति की ओर से मामले में कई बार अपना बयान जारी किया गया और धीरे-धीरे यह मामला डंठा होता गया, मगर अब फिर से शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ में लगाये गए सोने को लेकर बयान दिया है। उनका कहना है कि केदारनाथ में सोना घोटाला हुआ है और 228 किलो सोना गायब हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए।

केदारनाथ के नाम पर दिल्ली में मंदिर बनाया जा रहा है, जो कि सरासर गलत है। वहीं सोने का मामला उठते ही विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस जिला प्रवक्ता नरेन्द्र बिष्ट ने कहा कि पिछले एक साल से कांग्रेस सोने के मुद्दे को उठा रही है, लेकिन सरकार मामले में कोई एक्शन नहीं ले रही है।

इधर, शंकराचार्य के बयान के बाद बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता हूं कि वह शंकराचार्य हैं कि नहीं, लेकिन वह संत होने के नाते सही बयानबाजी करें। इतनी प्रेस वार्ता कोई राजनेता भी नहीं करता है, जितनी वह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास यदि कोई साक्ष्य हैं तो वह सबके सामने पेश करें।

विवाद षडयंत्र का हिस्सा: मंदिर समिति

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति ने श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने पर सोशल मीडिया में फैलाए जा रहे भ्रम को षडय़ंत्र का हिस्सा बताया है। बीकेटीसी ने स्पष्ट किया है कि बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम-1939 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानी दाता से दान स्वीकारा गया है और श्री केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए शासन से अनुमति ली गई। भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देख रेख में स्वर्ण मंडित करने का कार्य किया गया।

बीकेटीसी ने यह भी स्पष्ट किया है कि गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने का कार्य स्वयं दानीदाता ने अपने स्तर से किया है। दानी दाता द्वारा अपने स्तर से ज्वैलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई गई और फिर उन पर सोने की परतें चढ़ाई गई।

दानीदाता ने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से ही इन प्लेटों को मंदिर में स्थापित कराया। सोना खरीदने से लेकर दीवारों पर जड़ने तक का संपूर्ण कार्य दानी द्वारा कराया गया। मंदिर समिति की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी।

दानीदाता द्वारा अपने स्वर्णकार के माध्यम से गर्भगृह में लगाई गई स्वर्ण व तांबें की प्लेटों के आधिकारिक बिल व बाउचर बीकेटीसी को कार्य पूर्ण होने के पश्चात दे दिए गए थे।  बीकेटीसी द्वारा नियमानुसार इसे स्टॉक बुक में दर्ज किया गया है।

दानस्वरूप किए गए इस कार्य के लिए दानी व्यक्ति अथवा किसी फर्म द्वारा बीकेटीसी के  समक्ष किसी प्रकार की शर्त नहीं रखी गई और ना ही दानीदाता ने बीकेटीसी से आयकर अधिनियम की धारा-80 जी का प्रमाण पत्र मांगा।

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