लोकसभा चुनाव में अब कुछ समय ही शेष बचा है। राजनीतिक पार्टियों ने अपने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। भारतीय निर्वाचन आयोग ने भी अपनी कमर कस ली है। चुनाव आयोग ने सोमवार को लोकसभा चुनाव को लेकर सख्त गाइडलाइन जारी की है। आयोग ने राजनीतिक पार्टियों, नेताओं और चुनाव मशीनरी को राजनीतिक प्रचार और रैली में बच्चों का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश जारी किए हैं। हालांकि, अपने माता-पिता के साथ बच्चे की उपस्थिति मात्र या किसी नेता के साथ अभिभावक और बच्चे का होना दिशानिर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

चुनाव आयोग ने सोमवार को गाइडलाइन जारी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से राजनीतिक अभियानों और रैलियों में बच्चों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। गाइडलाइन में किसी भी तरीके से बच्चों का राजनीतिक अभियान में शामिल करना, जिसमें कविता पाठ करना, गीत, नारे या बच्चों के द्वारा बोले गए शब्द या फिर उनके द्वारा किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्हों का प्रदर्शन करना शामिल है।

आयोग ने अपने नोटिस में बताया कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना है। आयोग ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का भी जिक्र किया है। उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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