पहले गलवान घाटी और फिर अरूणाचल प्रदेश में घुसने की कोशिश के दौरान इंडियन आर्मी से बुरी तरह पिटने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सेना पीएलए ने कहा है, कि “चीन की सेना के लिए भारत कोई खतरा नहीं है।”

साल 2027 तक पीएलए ने दुनिया में सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू बल बनने का लक्ष्य रखा है और सिंगापुर में चल रहे शांगरी-ला डायलॉग के दौरान पीएलए के प्रतिनिधियों ने भारत को लेकर ये बयान दिया है।

एशिया के प्रमुख सुरक्षा फोरम शांगरी-ला डायलॉग में चीनी सैन्य प्रतिनिधियों ने कहा है, कि भारत चीन के लिए सुरक्षा खतरा पैदा नहीं करेगा, क्योंकि वह रक्षा निर्माण और अपनी सेना के आधुनिकीकरण में बीजिंग को चुनौती देने में अभी भी सक्षम नहीं है।

सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के मौके पर मीडिया से बात करते हुए, जो रविवार को खत्म हुआ है, उसमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रतिनिधियों ने कहा, कि भारत अभी भी चीन की सेना के आसपास आने से दूर है, खासकर रक्षा उद्योग में।

पीएलए एकेडमी ऑफ मिलिट्री साइंसेज के वरिष्ठ कर्नल झाओ जिओझुओ ने कहा, कि “कमजोर औद्योगिक बुनियादी ढांचे के कारण आने वाले दशकों में भारत के चीन से आगे निकलने की संभावना नहीं है, जबकि चीन ने जटिल और व्यवस्थित रक्षा औद्योगिक प्लेटफॉर्म का निर्माण किया है।”

उन्होंने कहा, कि “जब आप भारतीय सेना की हथियार प्रणालियों को देखते हैं, तो किस प्रकार के टैंक, विमान और युद्धपोत भारतीयों ने खुद बनाए या विकसित किए हैं?”

आपको बता दें, कि पीएलए का ये बयान उस वक्त आया है, जब भारत और चीन के बीच का तनाव बना हुआ है और भारत के एयरचीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और भारत के नेवी चीफ आर. हरि कुमार ने चीन का नाम लेकर कहा है, कि “भारत किसी भी वक्त चीन को जवाब देने किए पूरी तरह से तैयार है।”

भारत के दो शीर्ष सैन्य अधिकारियों के बयान और पीएलए प्रतिनिधियों के बयान ये बताने के लिए काफी हैं, कि दोनों देशों के बीच स्थिति सामान्य नहीं हैं, भले ही दोनों देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत भी जारी है।

वहीं, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2018 से 2022 तक भारत प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक था, उस दौरान भारत ने अपने कुल हथियारों का 31 प्रतिशत रूस से खरीदा था।

पीएलए नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रतिनिधिमंडल के सदस्य वरिष्ठ कर्नल झांग ची ने हालांकि, साउथ चायना मॉर्निंग पोस्ट से कहा, कि “अन्य देशों की तरह एक प्रभावशाली महाशक्ति बनने के लिए भारत ने सैन्य आधुनिकीकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”

हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि भारत जरूर क्वाड में जुड़ा हुआ है, जिसमें अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया भी हैं, जिसका उद्देश्य बढ़ते चीन का मुकाबला करना है, लेकिन इसने फिर भी चीन और भारत के बीच अलग अलग फोरम पर होने वाली बैठकों को प्रभावित नहीं किया है, जिसमें ब्रिक्स सम्मेलन और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे बहुपक्षीय प्लेटफार्मों में बीजिंग और नई दिल्ली के बीच बातचीत शामिल है।

आपको बता दें, कि भारत और चीन के बीच हिमालय क्षेत्र में भारी तनाव है और पिछले कुछ सालों से हजारों की तादाद में सैनिक दोनों तरफ से तैनात हैं। 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गये थे, जबकि चीन ने चार सैनिकों की मौत की बात कबूल की थी।

झाओ ने कहा, कि बीजिंग का मानना है कि भारत अपनी स्वतंत्र कूटनीतिक नीति के कारण अमेरिकी इंडो-पैसिफिक रणनीति का “वफादार भागीदार” नहीं होगा।

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