विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं और दोनों देश ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां वे एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदार के रूप में देखते हैं।
जयशंकर ने कहा कि ये द्विपक्षीय संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी आगे जाएंगे।
भारतीय दूतावास द्वारा शनिवार को यहां आयोजित ‘सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप’ कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से ‘इंडिया हाउस’ में एकत्र हुए सैकड़ों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, आज यह स्पष्ट संदेश है कि हमारे रिश्ते अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं, लेकिन जैसा कि अमेरिका में कहा जाता है कि आपने अभी तक कुछ भी नहीं देखा है, हम इन संबंधों को एक अलग स्तर, एक अलग जगह ले जाने वाले हैं।
उन्होंने कहा, मैं कहना चाहूंगा कि इस बदलती दुनिया में भारत और अमेरिका एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हम एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदारों के रूप में देखते हैं। जयशंकर ने कहा कि जी20 की सफलता अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकती थी।
उन्होंने कहा, जब चीजें अच्छी होती हैं, तो हमेशा मेजबान को इसका श्रेय मिलता है। यह उचित भी है, लेकिन यदि जी20 के सभी सदस्य देश इस आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो यह संभव नहीं था। जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘जी20 को सफल बनाने के लिए जो योगदान, जो सहयोग और समझ हमें अमेरिका से मिली, उसकी मैं वाशिंगटन डीसी में सार्वजनिक तौर पर सराहना करना चाहूंगा।’
उन्होंने कहा, तो, शाब्दिक रूप से यह हमारी सफलता हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह जी20 (राष्ट्रों) की सफलता थी। मेरे लिए, यह भारत-अमेरिका साझेदारी की भी सफलता थी। कृपया इस साझेदारी को वह समर्थन देते रहें, जिसकी उसे आवश्यकता है, जिसकी यह हकदार है और जिसकी अपेक्षा है। मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे। जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध इस द्विपक्षीय संबंध को और अनूठा बनाते हैं।
अमेरिका-भारत संबंध साझा विचारों और मूल्यों पर स्थापित हुए हैं और उनमें सबसे ऊपर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता है।’ बाइडन प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही।
भारतीय संस्कृति की विविधता तथा जीवंतता तथा भारत-अमेरिका संबंधों का जश्न मनाने के लिए भारतीय दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रबंधन और संसाधन संबंधी मामलों के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध साझा विचारों और साझा मूल्यों पर स्थापित हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘सबसे ऊपर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता है। महात्मा गांधी ने 1942 में तत्कालीन राष्ट्रपति रूजवेल्ट को पत्र लिखा था कि उन्हें ‘थोरो और इमर्सन के लेखन से बहुत लाभ हुआ है’ और कुछ साल बाद, डॉ. मार्टिन लूथर किंग ने लिखा, ‘यह गांधी और उनका प्रेम था और अहिंसा से मैंने सामाजिक सुधार का तरीका खोजा तथा गांधी का दर्शन ही एकमात्र नैतिक तथा व्यावहारिक रूप से सही तरीका था, जो प्रताड़ित लोगों के लिए स्वतंत्रता के संघर्ष में खुला था।’