ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन सरदार मोहिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए घोटालों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने जांच तेज कर दी है। आरोप है कि इस पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी ने कथित तौर पर कई लोगों के साथ मिलकर निवेशकों के 426 करोड़ रुपए का गबन किया है और इस काली कमाई से उसने पंजाब सहित देश के कई हिस्सों में करोंड़ों की संपत्ति जुटाकर अपना सम्राज्य स्थापित किया है। सूत्रों का कहना है कि ई.डी. को  मोहिंदर सिंह पर हीरों के अवैध कारोबार में संलिप्त होने की भी आशंका है।

ई.डी. की जांच में अब रियल एस्टेट कंपनी हैसिंडा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (एच.पी.पी.एल.) की लोट्स 300 परियोजना के जरिए निवेशकों से 426 करोड़ रुपये की धोखाधडी के मामले में एक और नाम सामने आया है। शिकंजे में आए पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी मोहिंदर सिंह ने ई.डी. की पूछताछ में एक और रिटायर्ड आई.ए.एस. अधिकारी का नाम लिया है। जानकारी मिली है कि इस अधिकारी ने काली कमाई को विदेश में होटल व्यवसाय में निवेश किया है। मोहिंदर सिंह ई.डी.को बताया कि इस अधिकारी की तैनाती उनके बाद हुई थी। एजेंसी जल्द इस अधिकारी को भी पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी में जुट गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक ई.डी. द्वारा 17-18 सितंबर को दिल्ली, नोएडा, मेरठ, चंडीगढ़ और गोवा में 18 स्थानों पर छापेमारी कर गहन तलाशी ली थी। इनमें एच.पी.पी.एल. के कार्यालय, आवासीय परिसर, प्रमोटर, निदेशक सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज, नरमल सिंह, आदित्य गुप्ता, आशीष गुप्ता और नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन सी.ई.ओ.  मोहिंदर सिंह के ठिकाने शामिल थे। तलाशी के दौरान ई.डी. को 85 लाख रुपये कैश, 29.30 करोड़ के सोने और हीरे के जेवर, सवा 12 करोड़ के हीरे और उनसे बने जेवर मिले थे। इसके अलावा जमीन और दूसरे निवेश से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी पड़ताल की जा रही है।

ईडी को मोहिंदर सिंह के घर से 5.26 करोड़ का 20 कैरेट का हीरा मिला है। वह अधिकारियों को इस हीरे के स्रोत के बारे में बता नहीं पाए। इसके अलावा मोहिंदर सिंह और अन्य के यहां से 7.10 करोड़ के हीरे के आभूषण मिले हैं। मोहिंदर सिंह के घर से ई.डी. को 35 हीरों के सर्टिफिकेट भी मिले हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 30 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन इन सर्टिफिकेट से जुड़े हीरे ई.डी. को नहीं बरामद हुए। बताया जा रहा है कि मोहिंदर की पत्नी कुछ समय पूर्व ही अमरीका गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि कहीं उनके जरिए हीरों को बाहर तो नहीं भेज दिया गया। एजेंसी के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि एच.पी.पी.एल. की काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा हीरों में निवेश किया गया है।

ई.डी. को पूर्व आई.ए.स. के घर से कई कीमती संपत्तियों के दस्तावेज मिले हैं। इसमें दिल्ली के हौजखास स्थित साढ़े आठ करोड़ का एक घर भी शामिल है, जो उनकी पत्नी के नाम पर है। इसके अलावा मुजफ्फरनगर में करोड़ों की कृषि योग्य जमीनों के कागजात मिले हैं। सबसे ज्यादा जमीनें लुधियाना, मोहाली और रोपड़ में हैं। लुधियाना की जमीनें काफी कीमती हैं। ई.डी. पूर्व ई.डी. की बेनामी संपत्तियों के बारे में भी पता लगा रही है, क्योंकि लखनऊ और नोएडा में उनकी जमीनों की जानकारी सामने नहीं आई है। अधिकारी यह भी पता लगा रहे हैं कि कहीं उन बेनामी जमीनों को बेचकर पंजाब में जमीनें तो नहीं खरीदी गईं।

यमुना प्राधिकरण को लगाई 30 हजार करोड़ की चपत
एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सरदार मोहिंदर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में 17 व्यक्तियों और 15 बिल्डरों को बेहद सस्ती दरों पर यमुना प्राधिकरण की जमीन आवंटित की थी। यह किसानों को दिए गए मुआवजे से भी कम कीमत पर दी गई। ये जमीनें टाउनशिप और संस्थागत परियोजनाओं के लिए आवंटित की गई थीं, जिससे यमुना प्राधिकरण को 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। इसकी भरपाई प्राधिकरण आज तक नहीं कर पाया है। इसके अलावा, प्राधिकरण की 500 बीघा जमीन की बैकलीज कर दी गई, जिससे प्राधिकरण को और वित्तीय हानि हुई।  सरदार मोहिंदर सिंह पर आरोप है कि बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल के दौरान उन्होंने बिल्डरों को औने-पौने दामों पर जमीनें आवंटित कर दीं। उनके कार्यकाल में यमुना प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं सामने आई हैं।
तीन दिन पहले ई.डी. ने सरदार मोहिंदर सिंह के नोएडा, लखनऊ, और चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर छापेमारी की। ई.डी. से मिली जानकारी के अनुसार मोहिंदर सिंह के पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हैं, जिनमें से कई बेनामी हैं। इन संपत्तियों की देखरेख उनके बेटे द्वारा की जाती है। ई.डी. की जांच में और भी खुलासे होने की संभावना है, जिससे इस मामले में नई जानकारी सामने आ सकती है।

 

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