लुधियाना। लुधियाना के ग्यासपुरा इलाके में 30 अप्रैल की सुबह सीवरेज गैस लीक होने से 11 लोगों की मौत के मामले में अब एक बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन 11 लोगों की मौत हुई, उसके पीछे बड़ा कारण हाईड्रोजन सल्फाइड गैस थी, जो भारी मात्रा में उस सुबह को सीवरेज लाइन में पाई गई। बोर्ड की यह रिपोर्ट 11 लोगों की मौत के बाद की गई जांच पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्यासपुरा के इलाके में सड़क किनारे खुले मेनहोल में से खतरनाक गैस के रिसाव के कारण 11 लोगों की मौत हुई थी। वैज्ञानिक जी. राम बाबू, डा. नरेंद्र शर्मा, कमलेश सिंह और निजामुद्दीन पर आधारित सी.पी.सी.बी. की एक टीम ने इस घटना के तीन दिन बाद ग्यासपुरा इलाके का दौरा किया था और जांच की थी। बोर्ड की तरफ से इस मामले में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से गठित कमेटी को अपनी रिपोर्ट दे दी गई है।

रिपोर्ट में बोर्ड ने अंकित किया है कि सीवरेज में कैमिकल के कारण हाईड्रोजन सल्फाइड गैस बनी। यह कैमिकल आसपास की चल रही इंडस्ट्री से निकला और सीवरेज में गया। सीवरेज में मैटल सल्फाइड इंडस्ट्री की तरफ से डाले गए और एसिड के साथ मिलकर इन्होंने हाइड्रोजन सल्फाइड गैस का निर्माण किया और जिसके कारण यह घटना घट गई। गौरतलब है कि ग्यासपुरा इलाके के आसपास की गलियों में बड़ी मात्रा में ऐसी फैक्टरियां हैं, जहां पर सैल्फरिक तथा हाइड्रोलिक का इस्तेमाल किया जाता है। मशीनों व साइकिल आदि के पुर्जों के निर्माण प्रक्रिया के लिए इनका प्रयोग होता है। घटना के दिन जिस स्थान पर यह पूरी घटना हुई, वहां के मुख्य सीवरेज में खतरनाक कैमिकल की मात्रा ज्यादा पाई गई और इसके पीछे बड़ा कारण जो रिपोर्ट में अंकित किया गया है, वो इंडस्ट्री में प्रयोग होने वाला हाइड्रोलिक एसिड बताया गया है।

जानकारी यह भी मिली है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गैस के हवा से भारी होने के कारण उसने ग्राउंड पर मौजूद लोगों को अपनी चपेट में ले लिया जबकि पहली मंजिल पर गैस न पहुंचने की वजह से वहां मौजूद लोगों का बचाव हो गया। इस गैस की मौजूदगी के लिए पी.पी.सी.बी. द्वारा सीवरेज जाम की समस्या के अलावा गैस की निकासी के लिए रोड जालियों का इंतजाम न होने की बात भी कही जा रही है।

इस मामले में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पी.पी.सी.बी. के चेयरमैन की अगुवाई में जांच कमेटी का गठन किया गया है जिसके द्वारा रिपोर्ट पेश करने के लिए 30 जून की डेडलाइन फिक्स की गई थी, लेकिन उस समय तक रिपोर्ट फाइनल नहीं हो पाई। अब एन.जी.टी. में इस मामले की सुनवाई 13 जुलाई को होगी। इस दौरान रिपोर्ट पेश की जा सकती है जिसके बाद ही यह तस्वीर साफ हो सकती है कि किसकी लापरवाही की वजह से उक्त हादसा हुआ है। क्योंकि मैजिस्ट्रेट जांच में किसी विभाग को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया और पुलिस द्वारा बनाई गई एस.आई.टी. की जांच अब तक मुक्कमल नहीं हुई है।

इस मामले में सैंपल लेने के तरीके पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि जब हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की वजह से मौतें होने की बात सामने आई तो उसका प्रभाव कम करने के लिए कास्टिक सोडा डाला गया, जिसे लेकर एस.डी.एम. द्वारा अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। हादसे के लिए किसकी लापरवाही है, इसका स्पष्ट पता लगाने के लिए हादसे के दिन सीवरेज की सही स्थिति के सैंपल नहीं लिए गए। हालांकि इस मुद्दे पर नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि सैंपल लेने के बाद एन.डी.आर.एफ. की टीम द्वारा ही गैस का प्रभाव कम करने के लिए सीवरेज को फ्लश आउट करने के लिए बोला गया था।

 

 

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