गाजियाबाद में चल रहे सनातन कॉन्क्लेव में श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने ऐलान किया है कि सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की स्थापना होगी। इस पर कुल खर्च करीब ढाई सौ करोड़ रुपए होगा। यहां दाखिला लेने वाले बच्चों को सिर्फ सनातन धर्म की शिक्षा-दीक्षा दी जाएगी। दावा है कि जैसे इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए दारुल उलूम देवबंद है, ठीक उसी तरह सनातन वैदिक ज्ञानपीठ होगी।

अखाड़ा के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि महाराज ने वैदिक विद्यापीठ निर्माण के लिए हमारे पास जगह की कोई कमी नहीं है। असम में 1200 बीघा जमीन पर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। इस विवाद को सुलझाने के लिए हमारी असम के मुख्यमंत्री से बातचीत भी हो चुकी है। इसके अलावा कश्मीर, डोडा, ऊधमपुर आदि शहरों में काफी जमीनें हैं। हमें सिर्फ लोगों का मानसिक और शारीरिक योगदान चाहिए। जरूरत पड़ी, तब आर्थिक योगदान लेंगे।

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने बताया, ‘सनातन वैदिक ज्ञानपीठ का कॉन्सेप्ट ये है कि हम दुनिया को सनातन धर्म सिखाएं। हमारे पास अनेक तरह के विद्यालय हैं, लेकिन सनातन धर्म सिखाने वाला विद्यालय नहीं है। जैसे मुसलमानों ने दारुल उलूम और मदरसे बनाए हैं, उसी तरह हम सनातन सिखाने वाला विश्वविद्यालय बनाएंगे। ये कब बनेगा, कहां बनेगा…ये सब चीजें बाद में तय की जाएंगी। अभी सिर्फ इसकी घोषणा हुई है।’
यति नरसिंहानंद ने बताया, ‘इसके निर्माण पर मोटा बजट खर्च होगा। इसलिए संस्था के लिए दान देने की शुरुआत मैं खुद से कर रहा हूं। डासना देवी मंदिर की तरफ से डॉक्टर उदिता त्यागी ने सवा-सवा लाख रुपए के दो चेक श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संरक्षक को सौंपे हैं। मेरे शुक्रताल और हरिद्वार में दो प्लॉट हैं। अगले एक हफ्ते में ये दोनों प्लॉट बेचकर विद्यापीठ निर्माण के लिए पैसा जमा कर दिया जाएगा। गाजियाबाद के ही अक्षित त्यागी ने 51 लाख रुपए चंदा देने का ऐलान किया है। इस तरह सभी सनातनियों के सहयोग से सनातन वैदिक ज्ञानपीठ का निर्माण होगा।’
इस कॉन्क्लेव में साधुओं के 13 अखाड़ों सहित कई राज्यों से साधु-संत भी आए हैं।
इस कॉन्क्लेव में साधुओं के 13 अखाड़ों सहित कई राज्यों से साधु-संत भी आए हैं।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि ने कहा, ‘सौ करोड़ से ज्यादा सनातन धर्मी, विश्व की प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति है, लेकिन हमारे पास एक भी ऐसी संस्था नहीं है, जो समग्र में सनातन धर्म पढ़ाती हो। इसी कारण आज हमारे युवा दिग्भ्रमित हैं और वस्तुतः अपने और अपने परिवार सहित धर्म के शत्रु बन जाते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘सनातन धर्म के इस शून्य को भरने के लिए ही आज सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की आवश्यकता है, जिसे हम हिंदुओं के तीन सबसे बड़े अवगुण धर्म के प्रति अज्ञान, कायरता और जातिवाद पर निर्णायक प्रहार करके सनातन धर्म की नींव को मजबूत करना है। अगर मां और महादेव की इच्छा हुई तो सनातन वैदिक ज्ञानपीठ की स्थापना अवश्य होगी। इसके लिए भिक्षा यात्रा भी शुरू कर दी गई है।’

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