भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बहुप्रतिक्षित गगनयान मिशन को लेकर तैयारियां जोरों पर है। इस मिशन को लेकर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने तमिलनाडु के मदुरै में कहा कि पहली टेस्ट व्हिकल-डी1 परीक्षण उड़ान 21 अक्टूबर को आयोजित की जाएगी।
क्योंकि, यह गगनयान कार्यक्रम है। गगनयान कार्यक्रम के लिए क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करते हुए टेस्टिंग की आवश्यकता होती है। गगनयान में क्रू एस्केप सिस्टम एक बहुत ही क्रिटिकल सिस्टम होता है।
इसरो प्रमुख ने कहा कि यदि रॉकेट को कुछ होता है, तो आपको चालक दल को विस्फोटित रॉकेट से कम से कम 2 किमी दूर ले जाकर बचाना होगा। इसलिए यह परीक्षण उड़ान की एक स्थिति में उस चालक दल के भागने की प्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए है।
#WATCH | Madurai, Tamil Nadu: ISRO chief S Somanath says, “Test Vehicle-D1 mission is scheduled for October 21. So this is Gaganyaan program. The Gaganyaan program requires testing, demonstrating the crew escape system. Crew escape system is a very critical system in Gaganyaan.… pic.twitter.com/hzjoRSSOVw
— ANI (@ANI) October 14, 2023
इसलिए यह स्थिति हम जो प्रदर्शन कर रहे हैं उसे ट्रांसोनिक स्थिति कहा जाता है। हर महीने हम कम से कम एक प्रक्षेपण करेंगे। इस परीक्षण वाहन प्रक्षेपण के बाद हमारे पास जीएसएलवी है। फिर हमारे पास एसएसएलवी है। फिर उसके बाद, गगनयान मानव रहित मिशन होगा। बीच में पीएसएलवी प्रक्षेपण होगा। इसलिए जनवरी से पहले आप कम से कम 4-5 प्रक्षेपण देखेंगे।
एस सोमनाथ ने आदित्य-एल1 मिशन पर कहा कि यह बहुत अच्छी तरह से काम कर रहा है। मौजूदा समय में पृथ्वी से एल1 प्वाइंट तक यात्रा करने में लगभग 110 दिन लगते हैं। इसलिए जनवरी के बीच तक यह पूरा हो जाएगा। L1 बिंदु तक पहुंचने पर हम लैग्रेंज प्वाइंट में प्रवेश करेंगे। इसे हेलो ऑर्बिट कहा जाता है। यह एक बड़ा ऑर्बिट है। इसलिए यह जनवरी के बीच तक होगा।