मुगल इतिहास से संबंधित कुछ अध्यायों को समाप्त करने के बाद अब उत्तर प्रदेश के कॉलेजों के सिलेबस में कुछ नए चैप्टर जोड़े जा रहे हैं। प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में डिफेंस स्टडीज के पाठ्यक्रम में उन ऐतिहासिक युद्धों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जिसका जिक्र वर्तमान किताबों में कम हुआ है। इनमें महाभारतकाल के दौरान ल़ड़े गए युद्ध भी शामिल हैं।
इसका मकसद भारतीय जवानों के युद्ध कौशल और वीरता से नई पीढ़ी को अवगत कराना है। इसमें साल 2020 में लद्दाख सीमा पर चीन के साथ हुए गलवान संघर्ष के साथ-साथ पाकिस्तान पर किए गए सर्जिकल स्टाइक से जुड़े चैप्टर भी होंगे। इन बदलावों को पेश करने के लिए शिक्षाविदों, सैन्य विज्ञान विशेषज्ञों और राजनीतिक हस्तियों का एक थिंक टैंक केंद्र और राज्य के विश्वविद्यालयों में पठाए जा रहे डिफेंस स्टडीज के सामग्रियों पर विचार-मंथन कर रहा है।
सिलेबस को इस तरह से संशोधित किया जा रहा है कि छात्र भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को जान सकें। छात्रों को उन युद्धों के बारे में बताया जाएगा, जिनमें भारतीय सेना विजयी हुई। डिफेंस स्टडीज के छात्रों को उन जंगों से अवगत कराया जाएगा, जिनमें भारतीय सेनाओं की वीरता और रणनीति ने सभी को प्रभावित किया है।
इलाहाबाद विवि के रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो. प्रशांत अग्रवाल जो कि बीते साल राज्य के विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में बदलाव लाने की सिफारिश करने वाली समिति का हिस्सा थे, ने कहा कि 1962 में लड़ा भारत-चीन युद्ध युद्धविराम के कारण खत्म हुआ था। चीन ने एकतरफा युद्धविराम का ऐलान इसलिए किया था क्योंकि वे सर्दी मे युद्ध जारी रखने की स्थिति में नहीं थे।
इस युद्ध को लेकर आम धारणा ये है कि भारत चीन से हार गया। लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां भारतीय सैनिकों ने मामूली की संख्या में चीनियों को करारा जवाब दिया। चीनी सेना के मुकाबले कम उन्नत हथियार होने के बावजूद भारतीय जवानों ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया था।
प्रो. प्रशांत अग्रवाल आगे कहते हैं कि मुगल, ब्रिटिश और स्वतंत्रता के बाद के युग में लड़ी गई लड़ाईयों को एकबार फिर से देखने की जरूरत है। इन युद्धों का रीविजटिंग करके दुनिया के सामने हमारे सैनिकों की वीरता की वास्तिवक तस्वीर को प्रदर्शित करने और उनका महिमामंडन करने की जरूरत है। उनका कहना है कि छात्र विदेशी लेखकों के द्वारा लिखी गई किताबों के जरिए कैसे भारतीय जवानों के शौर्य के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं ? इस विषय पर भारतीय लेखकों द्वारा काफी कम किताबें लिखी गई हैं।