केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बृहस्पतिवार को उत्तराखंड के वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और इस आपदा से निपटने के लिए किए जा रहे उपायों की समीक्षा की। प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री ने भागीरथी क्षेत्र के तहत टिहरी और नरेंद्र नगर वन प्रभाग में शिवपुरी, हिंडोलाखाल, बेमुंडा, आगराखाल वन रेंज का दौरा कर वनाग्नि प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया और वन विभाग की तैयारियों तथा स्थानीय लोगों की ओर से मिल रहे सहयोग की भी समीक्षा की।

हिंडोलाखाल में यादव ने कहा कि उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएं ज़्यादा सामने आयीं और ये ज्यादातर चीड़ के जंगलों में घटित हुईं। उन्होंने कहा कि इनकी निगरानी कर स्थानीय कारणों का पता लगाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन यहां की भौगोलिक परिस्थितियों का जायज़ा लेने, जनसहभागिता और जनसहमति को सुनिश्चित करने के लिए स्थलीय निरीक्षण जरूरी था ताकि आपसी समन्वय के साथ जंगल में आग लगने की इन घटनाओं को रोका जा सके।

यादव ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। बेमुंडा क्रू स्टेशन पर उन्होंने ग्रामीणों के साथ संवाद किया और उनके साथ जंगलों में आग लगने के कारणों पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने वनाग्नि को बुझाने में लगे वनकर्मियों से भी बात की और क्रू स्टेशन का जायज़ा लिया। इस दौरान यादव ने जोर देकर कहा कि वन विभाग वनाग्नि से निपटने की तैयारी को और अधिक बेहतर करे तथा आग लगने की सूचना प्राप्त होने पर कम से कम समय में उससे निपटने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

मंत्री ने हाल में हुई वनाग्नि दुर्घटनाओं और उसमें हुई जानमाल की क्षति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए स्थानीय समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने पर भी बल दिया। इस साल प्रदेश के जंगलों में वनाग्नि की 1265 घटनाएं सामने आयीं जो पिछले साल हुईं 760 घटनाओं के मुकाबले काफी अधिक हैं। हाल में अल्मोड़ा के सिविल सोयम वन प्रभाग में वनाग्नि की चपेट में आने से पांच वन कर्मियों की मृत्यु हो गयी थी तथा तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिनका एम्स नई दिल्ली में इलाज किया जा रहा है।

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