किसानों का जत्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और अन्य कृषि सुधारों के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर मुख्य रूप से पंजाब से दिल्ली की ओर मार्च करने के अपने दृढ़ संकल्प पर कायम हैं। अंबाला के पास शंभू सीमा पर स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। रणनीति के तहत किसानों ने ड्रोन के रोटरों को उलझाने के लिए पतंगों की लंबी डोर का उपयोग करना शुरू कर दिया ताकि संभावित दुघर्टना से बचा जा सके।

केंद्र और किसान नेताओं के बीच चल रहे गतिरोध के बीच किसान शंभू सीमा पर इकट्ठा होते रहे और भारी भरकम बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश करते रहे। युवा किसानों ने ‘दिल्ली’ की ओर बढ़ने में आ रही बाधा को दूर करने के लिए सीमेंटेड ब्लॉक्स को तोड़ने के लिए अपने ट्रैक्टर तैयार कर लिए।

हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके चलते टकराव के हालात पैदा हो गए। उन्होंने आंसू गैस के प्रभाव को कम करने के लिए खुद को पानी की बोतलों, गीले कपड़ों और यहां तक कि सुरक्षात्मक गियर से सुसज्जित किया

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने केंद्र सरकार की आलोचना की और यह आरोप लगाया कि सरकार किसानों की मांगों को पूरा करने की बजाय कॉर्पोरेट हितों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। पंढेर ने कहा कि हम सरकार से यह सब रोकने और सकारात्मक माहौल सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं। हम कल भी बातचीत के लिए तैयार थे और आज भी इसके लिए तैयार हैं।” 

किसानों की मांगों में सबसे प्रमुख है फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाना। विवाद के अन्य प्रमुख बिंदुओं में बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे की व्यवस्था और किसान आंदोलन में शामिल लोगों पर कानूनी मामलों को वापस लेना है। हरियाणा पुलिस के साथ मंगलवार को हुई झड़प में दोनों पक्षों को चोटें आईं। पुलिस ने किसानों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारों का सहारा लिया था।

कृषि मंत्री ने बातचीत की अपील की

वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज किसानों से अपील की किसानों को रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार हों ताकि आम आदमी के सामान्य जीवन को बाधित करने वाले कार्यों से बचने का आग्रह किया।

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