श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ने वाले निर्माल्य से अब घर आंगन भी महकेगा। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के सहयोग से मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों से अगरबत्ती और खाद बनाने की योजना शुरू होने जा रही है। अक्तूबर में बाबा के निर्माल्य से बंबूलेस अगरबत्ती, धूप, खाद, साबुन, हवन कैप का निर्माण शुरू हो जाएगा। अगरबत्ती के इस उद्योग से दो सौ से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर काशी के मंदिरों में अर्पित होने वाले फूल अब रोजगार का नया साधन बनेंगे। फूल ना तो कचरे में फेंके जाएंगे और ना ही नदी में बहाए जाएंगे। युवा ग्राम्य विकास समिति द्वारा संचालित रिसर्च और डेवलपमेंट संस्था साईं इंस्टीट्यूट आफ रूरल डेवलपमेंट ने सिडबी के सहयोग से काशी के मंदिरों में अर्पित होने वाले फूलों से अगरबत्ती, धूप, हर्बल, गुलाल, तुलसी पाउडर और खाद निर्माण शुरू होगा।

संस्था के अजय सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम की शुरूआत छह अक्तूबर को गांधी जयंती के स्वच्छता पखवाड़ा में होगी। पहले चरण में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में चढ़ाए फूलों को एकत्र करके उसे रिसाइकिल करके अगरबत्ती का निर्माण होगा। मंदिर से रोजाना 50 टन फूल-माला और निर्माल्य लेने की तैयारी है।

इसके बाद शहर के दूसरे मंदिरों को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा। यह पूरी तरह से बिना किसी केमिकल, बंबूलेस और चारकोल फ्री अगरबत्तियां व धूप होंगी। इसके अलावा प्राकृतिक खाद भी तैयार की जाएगी जो कि किसानों के लिए उपयोगी होगी। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह को इस कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा।

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