कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त दी है। कांग्रेस की इस शानदार जीत के कई कारण माने जा रहे है, जिसमें से एक ‘पांच गारंटी’ भी है। लोगों को दिए जाने वाले कई मुक्त उपहारों ने कांग्रेस के पक्ष में तराजू को झुका दिया है। कांग्रेस अब कर्नाटक में अगले पांच साल के लिए सरकार बनाने जा रही है। राजनीतिक पंडितों के अनुसार इन गारंटियों को पूरा करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। सत्ता में आने के लिए इस पार्टी ने परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया, बेरोजगार डिप्लोमा धारक को और सभी समुद्री मछुआरों के लिए आदि के लिए बड़ी घोषणा की थी। इन गारंटियों को पूरा करने के लिए सरकार के खजाने में काफी बोझ बढ़ने वाला है।
इनोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक में कांग्रेस सरकार को कई चुनौतियों को पार पाना होगा। इनमें से सबसे बड़ी चुनौती गारंटियों को पूरा करना है। कांग्रेस को अपने वादों को पूरा करने के लिए हर साल सरकारी खजाने पर 62000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पर आने वाले खर्च पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के वित्तीय घाटे के बराबर होगा। 2023-24 में 60,581 करोड़ रुपये घाटे का अनुमान है। बताया जा रहा है कि यह प्रदेश के जीडीपी का 2.60 प्रतिशत है।
कांग्रेस ने परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 2,000 रुपये प्रति माह, प्रत्येक बेरोजगार डिप्लोमा धारक को 1,500 रुपये प्रति माह और स्नातकों को 3,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है। पार्टी के चुनाव-पूर्व वादों के अनुसार, महिलाओं को राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बसों में मुफ्त यात्रा करने की भी सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। अन्ना भाग्य योजना के तहत बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो चावल मुफ्त दिया जाएगा।
समुद्र में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को 500 लीटर डीजल हर वर्ष कर-मुक्त डीजल दिया जाएगा। जिस सीजन में मछली नहीं पकड़ने पाने दौरान 6000 रुपये मछुआरों को देने का ऐलान किया है। इसके अलावा 3 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से गाय का गोबर खरीदने और गांवों में खाद/खाद केंद्र स्थापित करने का भी वादा किया।
बता दें कि कर्नाटक ने बड़े राज्यों के बीच जीएसटी संग्रह में उच्चतम वृद्धि दर दर्ज की है। 2022-23 के लिए राजस्व संग्रह लक्ष्य 72,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था। वहीं, जनवरी के अंत तक 83,010 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह प्राप्त किया गया था। यह बजट अनुमान से 15% अधिक था। इसका मतलब यह है कि नई कांग्रेस सरकार को अपने वादे के अनुसार मुफ्त उपहार देने के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।