कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल हुए गोरखपुर के सहजनवां निवासी प्रभात पांडे की मौत के मामले में शुक्रवार को पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। इस दौरान प्रभात के चाचा मनीष पांडे भी पुलिस के साथ मौजूद रहे। पुलिस ने कांग्रेस दफ्तर में स्थित सील किए गए कमरे नंबर 30 को खोला और वहां काम कर रहे कर्मचारियों से पूछताछ की। कर्मचारियों ने बताया कि प्रभात को तबीयत खराब होने पर कमरे में गद्दे पर लिटाया गया था। पुलिस ने सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए हैं। इस पूरे मामले की जांच अब एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) द्वारा की जाएगी।
पुलिस आयुक्त के निर्देश पर डीसीपी मध्य रवीना त्यागी ने एसआईटी का गठन किया है। एसीपी हजरतगंज, विकास जायसवाल ने बताया कि मनीष पांडे अपने भतीजे प्रभात के अंतिम संस्कार के लिए गोरखपुर गए हुए थे। जब वह लौटे तो कांग्रेस दफ्तर पहुंचे, जहां उन्हें घटना की जानकारी सबसे पहले दफ्तर के कर्मचारी द्वारका ने दी। पुलिस ने द्वारका से घटना के बारे में जानकारी ली। इसके साथ ही, प्रभात को अस्पताल ले जाने वाले इनोवा गाड़ी के चालक गायस मोहम्मद से भी पूछताछ की गई है। मनीष ने पुलिस को बताया कि उन्हें नहीं पता कि प्रभात को कांग्रेस दफ्तर बुलाने वाला कौन था।
प्रभात का मोबाइल फोन मनीष अपने साथ गोरखपुर ले गए थे, लेकिन शुक्रवार को पुलिस ने मनीष से प्रभात का फोन अपने कब्जे में ले लिया। अब पुलिस फोन का डेटा खंगालने में लगी है। वे मैसेज और चैट्स के जरिए यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रभात को कांग्रेस दफ्तर जाने के लिए किसने बुलाया था। फिलहाल, पुलिस को इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।
हुसैनगंज पुलिस अब यह जांच कर रही है कि कांग्रेस दफ्तर के कर्मचारियों और कार्यकर्ताओं की ओर से किस प्रकार की लापरवाही बरती गई। विशेष रूप से यह जांच की जा रही है कि प्रभात को अस्पताल ले जाने में देरी क्यों हुई। दफ्तर के बाहर से जिन लोगों ने प्रभात को कमरे में लाकर लिटाया था, उनका भी विवरण तैयार किया जा रहा है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज की भी समीक्षा कर रही है, जिससे इस घटना के बारे में और जानकारी मिल सके। पुलिस अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि प्रभात को कांग्रेस दफ्तर में क्यों बुलाया गया और इस घटना में किसी की लापरवाही तो नहीं थी।