भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मंगलवार को कांग्रेस और वाम दलों पर राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान ‘विषाक्त माहौल’ बनाने का आरोप लगाया।

उन्होंने साथ ही सलाह दी कि कांग्रेस और वामदलों के नेताओं को ‘प्रायश्चित’ के तौर पर बिना निमंत्रण के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में जाना चाहिए। राम मंदिर आंदोलन की हिस्सा रहीं उमा भारती ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने की कोशिश के कारण अंततः छह दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचे का विध्वंस हुआ।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘इन वामपंथियों और कांग्रेसियों ने उस समय विषाक्त माहौल बनाया। अब जब वे कहते हैं कि हमें (22 जनवरी को राम मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण नहीं मिला है, तो मैं कहूंगी कि आपका सबसे बड़ा प्रायश्चित यह होगा कि आप बिना निमंत्रण के वहां जाएं, सरयू नदी में डुबकी लगाएं और भगवान राम के सामने खड़े होकर कान पकड़कर क्षमा मांगे।’’

भारती ने दावा किया कि 1949 में रामलला के ‘प्रकट’ होने से पहले भी अयोध्या के विवादित ढांचे में नमाज नहीं पढ़ी जाती थी। उन्होंने कहा, ‘‘उस समय, (तत्कालीन प्रधानमंत्री) नेहरू ने मुसलमानों को खुश करने के लिए परिसर को बंद करने और हिंदुओं को खुश करने के लिए सुबह और शाम पूजा की अनुमति देने का फैसला किया। नेहरू द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को खुश रखने के लिए शुरू की गई परंपरा छह दिसंबर को ढांचा विध्वंस का कारण बनी।’’

भारती ने कहा कि इस परंपरा के कारण कांग्रेस दुविधा में है क्योंकि उसकी राम या राम राज्य में कोई आस्था नहीं है और उसे मुसलमानों की भी चिंता नहीं है बल्कि वह केवल वोट चाहती है।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने राम और राम-सेतु के अस्तित्व को नकार दिया ।।।।और वे इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस सरकार का हलफनामा है जिसमें कहा गया कि राम काल्पनिक थे।’’

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले कारसेवक शांत थे लेकिन उन्हें बिना किसी चेतावनी के सिर और सीने में गोली दाग दी गईं। उन्होंने सवाल किया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव ने इस तथ्य को नजरअंदाज क्यों किया और मुलायम सिंह यादव (तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं शुरू किया।

भारती ने कहा कि मथुरा और काशी में धार्मिक स्थलों से संबंधित विवाद अदालतों के समक्ष हैं, लेकिन अयोध्या की तरह, मथुरा और काशी भी हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं। उन्होंने कहा कि अदालत अपना फैसला उन पर थोप सकती है, लेकिन उनकी भावनाओं पर नहीं कि मथुरा में जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, वहां एक भव्य मंदिर होना चाहिए। उन्होंने सवाल किया, ‘‘वह यह आदेश कैसे दे सकती है कि उमा भारती, आपको काशी, मथुरा में आस्था नहीं रखनी चाहिए।’’

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights