जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर गाजा नहीं है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पूर्व छात्र नेता की यह टिप्पणी तब आई जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पहले पत्थरबाजों के प्रति सहानुभूति रखती थीं। शेहला रशीद ने कहा, “2010 में, हां।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लेकिन आज, जब मैं इसे देखती हूं, तो मैं आज की स्थिति के लिए बहुत अधिक आभारी हूं। कश्मीर गाजा नहीं है, यह स्पष्ट हो गया है कि कश्मीर गाजा नहीं है, क्योंकि कश्मीर तो सिर्फ इन आने-जाने वाले विरोध प्रदर्शनों और उग्रवाद व घुसपैठ की छिटपुट घटनाओं में ही शामिल था।

रशीद ने जम्मू-कश्मीर में बदलाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “इन सभी चीजों के लिए, किसी को बर्फ तोड़ने की जरूरत थी और इसके लिए, मैं वर्तमान सरकार को श्रेय देना चाहूंगी। खासकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को।” रशीद ने कहा कि उन्होंने इसका एक राजनीतिक समाधान सुनिश्चित किया है, जिसे मैं कहूंगी कि रक्तहीन है। यह पहली बार नहीं था जब रशीद ने जम्मू-कश्मीर के हालात की तारीफ की।

इससे पहले, इस साल अगस्त में, रशीद, जो 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर की स्वायत्त स्थिति को रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले के साथ-साथ इसके बाद दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के मुखर आलोचक रही हैं। उन्होंने घाटी में मानवाधिकार की स्थिति में सुधार के प्रयासों के लिए केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की सराहना की। एनआई से बात करते हुए, राशिद ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अपने संघर्षों के बारे में भी बात की, जब पूर्व शोध विद्वान उमर खालिद और तत्कालीन जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष, कन्हैया कुमार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के सिलसिले में देशद्रोह और आपराधिक साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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