प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को आयुष्मान भारत योजना के विस्तारित संस्करण का उद्घाटन करने जा रहे हैं, जिसमें विशेष ध्यान 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों पर दिया जाएगा। इस योजना के तहत, सभी बुजुर्गों को एक नया आयुष्मान कार्ड प्रदान किया जाएगा, जिसके माध्यम से उन्हें हर साल पांच लाख रुपए तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज मिलेगा। यह कदम देश में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है।
इस नए कार्ड के लिए आवेदन करना अनिवार्य होगा। जिन बुजुर्गों के पास पहले से आयुष्मान कार्ड है, उन्हें भी इस नए कार्ड के लिए आवेदन करना पड़ेगा। आवेदन प्रक्रिया के दौरान, बुजुर्गों को अपनी उम्र और पहचान से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी योग्य वरिष्ठ नागरिक इस योजना का लाभ उठा सकें।
यह स्वास्थ्य बीमा कवरेज बुजुर्गों को गंभीर बीमारियों और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करेगा। इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने, सर्जरी, और अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं का खर्च पूरी तरह से बीमा द्वारा कवर किया जाएगा। इससे बुजुर्गों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी और वे स्वास्थ्य सेवाओं का आसानी से लाभ उठा सकेंगे।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री एक नई डिजिटल प्रणाली “यू-विन” का भी उद्घाटन करेंगे, जो गर्भवती महिलाओं और 0 से 17 वर्ष तक के बच्चों के वैक्सीनेशन रिकॉर्ड को प्रबंधित करने के लिए होगी। यह पोर्टल कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए उपयोग में लाई गई को-विन प्रणाली की तर्ज पर विकसित किया गया है। यू-विन पोर्टल का उद्देश्य नियमित टीकाकरण का एक इलेक्ट्रॉनिक रजिस्टर बनाना है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बच्चे समय पर अपनी वैक्सीनेशन प्राप्त कर सकें। यह प्रणाली न केवल रिकॉर्ड को सुरक्षित और व्यवस्थित करेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के निगरानी में भी सहायता करेगी।
सरकार का यह कदम केवल स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी है। आयुष्मान भारत योजना का विस्तार इस बात का संकेत है कि सरकार बुजुर्गों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को गंभीरता से ले रही है और उन्हें प्राथमिकता दे रही है। इस योजना के माध्यम से, उम्मीद की जा रही है कि समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से बुजुर्गों, को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और सुविधाएं मिलेंगी। इससे न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि समाज के समग्र स्वास्थ्य स्तर में भी वृद्धि होगी।